जिम ट्रेनर विक्रम सिंह की हत्या के प्रयास मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस हाई प्रोफाइल मामले में भी पुलिस का रवैया आम केसों की तरह ही है। केस के IO ने न तो केस डायरी ही पूरी की और न ही अपने सीनियर के दिए निर्देशों का पालन किया। लॉ एंड आर्डर के दूसरे कामों में व्यस्त रहने का हवाला देकर राजधानी के इस महत्वपूर्ण केस में लापरवाही बरती। इनकी लापरवाहियों का खुलासा पटना हाईकोर्ट और घायल जिम ट्रेनर विक्रम सिंह के वकील द्विवेदी सुरेंद्र ने किया। इनके अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों ने कंफेस किया। उन्हें सुपारी मिली थी। पहचान के लिए विक्रम का फोटो भी दिया गया था।
उनका कहना है, 'पटना के SSP उपेंद्र कुमार शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस कर सब कुछ साफ कर दिया था। आरोपी डॉ राजीव कुमार सिंह और उनकी पत्नी खुशबू सिंह व दूसरे आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन अब इस मामले में कदमकुआं थाना की पुलिस की जांच धीमी पड़ गई है। केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (IO) संतोष कुमार ने केस डायरी लिखने में भी लापरवाही बरती। अब तक इन्होंने न तो केस के सूचक यानी पीड़ित विक्रम सिंह का पुनः बयान लिया और न ही गवाहों की गवाही ली। इसके बाद भी IO ने केस डायरी में लिख दिया कि विक्रम का पुनः बयान लिया गया है। जबकि, यह असलियत नहीं है।'
जिम ट्रेनर गोलीकांड में वकील का खुलासा
22 नवंबर को SSP से मिला था विक्रम
वकील के मुताबिक, केस में आरोपियों को फायदा पहुंचाने के लिए IO किस कदर लापरवाही बरत रहे हैं, यह बताने, अपना पुनः बयान दर्ज कराने और गवाहों की गवाही कराने की मांग को लेकर विक्रम ने 22 नवंबर को SSP से मुलाकात की। लिखित रूप से उन्हें एक आवेदन दिया। वहां से SSP के आदेश पर विक्रम को कदमकुआं थाना भेजा गया। वह 25 नवंबर को थाना गया भी, मगर उस वक्त IO संतोष कुमार उसे नहीं मिले। तब उसने कॉल किया, पर उस टाइम IO ने कॉल रिसीव नहीं किया था। इसके बाद विक्रम ने मैसेज लिख कर उनके मोबाइल पर भेज दिया था। तब उसी रात IO ने कॉल किया और अगले दिन 26 नवंबर को 11 बजे कदमकुआं थाना बुलाया था।
राजीव और उसके ससुर के आते ही बदल गए थे तेवर
वकील का दावा है, 'विक्रम जब अगले दिन थाना गया तो उस वक्त IO ने उससे काफी अच्छे से बात की थी। तकरीबन 5 मिनट बाद ही जमानत पर जेल से बाहर आए डॉ राजीव कुमार सिंह अपने ससुर के साथ वहां पहुंच गया। इसके बाद संतोष कुमार के तेवर ही बदल गए। विक्रम ने जब उन दोनों की मौजूदगी में पुनः बयान लेने के लिए कहा तो IO ने उसी वक्त डांट दिया। सीधे कहा आपका 5 बार बयान ही लेते रहेंगे क्या? थाना से निकलने के बाद 26 को ही वह फिर से SSP के पास गया। वो नहीं मिले तो उसी दिन शाम में DGP के पास गया। उनसे मिला और लिखित आवेदन दिया। विक्रम के समय पर ही डॉ राजीव और उसके ससुर का पहुंचना यह प्रमाणित करता है कि IO संतोष कुमार उनसे मिले हैं। वो अभियुक्तों को जमानत दिलवाने में मदद कर रहे हैं। इसी वजह से डॉ राजीव को जमानत मिली। अब ये लोग खुशबू सिंह को जमानत दिलवाने में लगे हैं। जिसका कोर्ट में विरोध किया जाएगा।'
केस ट्रू कर ASP ने दिए थे 7 निर्देश, IO ने किया इग्नोर
पटना के इस हाई प्रोफाइल केस का सुपरविजन ASP टाउन ने किया। अपने सुपरविजन में 4 अक्टूबर को ही उन्होंने 7 प्वाइंट्स पर काम करने और उसे केस डायरी में जोड़ने का निर्देश दिया था। वकील का आरोप है, 'IO ने ASP के निर्देश को इग्नोर कर दिया। 4 अक्टूबर के बाद केस डायरी में जांच से जुड़ी कोई बात लिखी ही नहीं गई। इस लापरवाही का फायदा केस के अभियुक्तों को मिल सकता है।'
5 गोली लगने के बाद भी 2.5KM स्कूटी चला PMCH पहुंचा विक्रम
सुपरविजन में दिए गए थे ये 7 निर्देश
पटना में सुबह-सुबह जिम ट्रेनर को मारी गोली
घायल जिम ट्रेनर के बयान का EXCLUSIVE VIDEO
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.