अब AIIMS की मशीन पढ़ेगी दिमाग का तनाव:​​​​​​​दिमाग की एक्टिविटी का FNIRS मशीन से होगा रिसर्च, अवसाद से लेकर मिर्गी का इलाज होगा आसान

पटना2 वर्ष पहले
यह मशीन शरीर के ऊतकों में प्रकाश किरणों को भेजकर काम करती है और परावर्तित किरणों को डिटेक्टरों से मापती है।

अब पटना AIIMS में ब्रेन की एक्टिविटी पर रिसर्च होगा। ब्रेन को किस तरह की सूचना मिल रही है, सूचना पर वह किस तरह से रिएक्ट कर रहा है, इसकी पूरी जानकारी मशीन को मिल जाएगी। ब्रेन की एक्टिविटी पर रिसर्च के साथ अब अवसाद से लेकर मिर्गी तक के इलाज में काफी आसानी हो जाएगी। मशीन के माध्यम से डॉक्टर को यह जानकारी हो जाएगी कि ब्रेन को दर्द की सूचना मिल रही है या फिर शरीर तनाव का संकेत दे रहा है।

पटना AIIMS ने किया बड़ा प्रयोग

पटना AIIMS ने बड़ा प्रयोग किया है। AIIMS में (Functional-Near Infrared Spectroscopy) FNIRS का इंस्टालेशन किया गया है। यह मशीन इंफ्रारेड के माध्यम से काम करती है। पटना AIIMS के न्यूराे फीजियोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर कमलेश झा का कहना है कि यह बड़ी उपलब्धि है। इससे मरीजों के ब्रेन की पूरी स्थिति को पढ़ा जा सकता है। ब्रेन किस तरह से काम कर रहा है, इसकी पूरी जानकारी आसानी से मिल जाएगी। डॉ. झा का कहना है कि FNIRS मशीन देश में काफी कम हैं और इस मशीन से ही ब्रेन की पढ़ाई आसान हो जाती है। पटना AIIMS में मशीन के काम करने से लोगों के ब्रेन पर बड़ा रिसर्च हो सकेगा और इससे ही रोगों का इलाज भी आसान होगा।

भारत के पूर्वी क्षेत्र की पहली मशीन
फिजियोलॉजी विभाग के तहत प्रयोगशाला बनाई गयी, है जहां मशीन को इंस्टाल किया गया है। प्रयोगशाला का उद्घाटन शनिवार को पटना AIIMS के निदेशक ने किया है। वेस्ट बंगाल कल्याणी AIIMS के कार्यकारी निदेशक व AIIMS पटना के फीजियोलॉजी विभाग के पूर्व HOD डॉ. (प्रो) रामजी सिंह ने कहा कि FNIRS मशीन बिहार में इतिहास रचने का काम करेगी। यह शरीर के ऊतकों में प्रकाश किरणों को भेजकर काम करती है और परावर्तित किरणों को डिटेक्टरों से मापता है। यह भारत के पूर्वी क्षेत्र में स्थापित होने वाली पहली ऐसी मशीनों में से एक है। फीजियोलॉजी विभाग के HOD डॉक्टर त्रिभुवन कुमार, डॉक्टर योगेश कुमार, डॉक्टर सतीश दिपांकर, डॉ जबीहुल्लाह ने कहा आने वाले दिनों में इस मशीन से बड़ी क्रांति होगी। AIIMS नई दिल्ली के रोहित वर्मा ने कहा बिहार के लिए काफी बड़ी उपलब्धि बताया।

रोगों पर रिसर्च और इलाज होगा आसान
पटना एम्स के निदेशक डॉ. (प्रो) पी.के. सिंह ने टीम को बधाई दी और कहा कि यह नवीनतम तकनीक में से एक है और इसका उपयोग उन्नत अनुसंधान और रोगी की देखभाल के लिए किया जा सकता है। न्यूराे फीजियोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर कमलेश झा बताते हैं कि इस मशीन से पटना AIIMS में अवसाद और चिंता जैसे न्यूरोसाइकोलॉजिकल रोगों के उपचार और रिसर्च को एक नया आयाम मिलेगा। फिजियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ एम्स पटना के तत्वावधान में फिजियोलॉजी विभाग द्वारा " फंक्शनल नियर - इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (F-NIRS) का उपयोग करते हुए कॉग्निशन के न्यूरोफिजियोलॉजी के लिए एक अनुभव डॉक्टरों ने साझा किया।

वेबिनार से मशीन के बारे में दी गई जानकारी
पटना AIIMS में वेबिनार आयोजित कर डॉक्टरों काे इस मशीन के बारे में बताया गया। इस दौरान पूरे भारत से 200 से अधिक डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने वेबिनार में भाग लिया और इस आधुनिक तकनीक के बारे में जाना। डॉ. कमलेश झा ने FNIRS प्रणाली के सिद्धांत और कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से बताया। उनका कहना है कि इससे मिर्गी के मरीजों पर भी शोध करना और इलाज करना आसान हो जाएगा। ब्रेन को पूरी तरह से मशीन पढ़ेगी और फिर इसकी रिपोर्ट का अध्ययन किया जाएगा। इसमें पता चल जाएगा कि मरीज के शरीर में क्या रोग है और दिमाग में क्या चल रहा है। इससे आसानी से रिसर्च भी होता रहेगा और इलाज भी हो जाएगा। डॉ. झा का कहना है कि आने वाले दिनों में इस मशीन से बिहार में क्रांति होगी।

बिहार में मानसिक रोगियों की संख्या अधिक
बिहार में मानसिक रोगियों की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में इस मशीन से इलाज और उन पर शोध काफी आसानी से हो जाएगी। इंसान के ब्रेन में क्या चल रहा है इसे मशीन के माध्यम से जाना जा सकता है और फिर इससे इलाज किया जा सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक अवसाद और मानसिक रोग का इलाज डॉक्टर अनुभव और लक्षण के हिसाब से करते थे लेकिन अब मशीन से यह थोड़ा हाईटेक होगा।

मशीन की मदद से यह जाना जा सकता है कि दिमाग में किस तरह की गतिविधि से बीमारी हो रही है और किस तरह के इलाज से मरीज को सुधारा जा सकता है। इसके साथ ही मिर्गी में यह भी जाना जा सकता है कि पुराना है या फिर नई बीमारी है। किस प्वाइंट पर ब्रेन को मिर्गी से असर हो रहा है यह भी जाना जा सकता है। इतना ही नहीं अब छोटे बच्चों को ऐनेस्थीसिया देने के समय भी दिमाग को पहले देखा जा सकता है कि वह कितनी क्षमता तक बर्दाश्त कर सकते हैं। ऐसे कई महत्वपूर्ण शोध के साथ अब जटिल बीमारियों का इलाज आसान हो जाएगा।

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