पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि सोन कमांड एरिया डेवलपमेंट एजेन्सी (स्काडा) से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को सरकारी पेंशन का लाभ नहीं मिल सकता है। न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने लक्ष्मण किशोर सहित स्काडा के 30 से अधिक रिटायर्ड कर्मियों की तरफ से दायर रिट याचिका को निष्पादित करते हुए उक्त निर्देश दिया।
तत्कालीन स्काडा (प्राधिकार) ने 22-6-1976 को ही एक निर्णय लिया था। सभी कर्मी 1975 में नियुक्त हुए थे। बाद में बिहार कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी अधिनियम 1978 में आया, जिसके तहत स्काडा प्राधिकार से एजेंसी बन गई और 2018 में इसी एजेंसी का विलय बिहार सरकार के वाल्मी में हो गया।
इसलिए स्काडा कर्मियों को पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। वाल्मी की तरफ से रिट याचिकाओं का विरोध करते हुए दलील दी गई कि स्काडा को राज्य सरकार से अनुदान मिलता है और बिहार पेंशन रूल्स में अनुदान लेने वाली संस्थाओं के कर्मियों को पेंशन देय नहीं है। हाईकोर्ट ने यह तय किया कि स्काडा ने अपना अस्तित्व उसी समय खो दिया, जब 1978 में स्काडा एजेंसी बनी।
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