राज्य में सरकारी अस्पतालों में बच्चों का नियमित टीकाकरण कराने की तरफ अभिभावकों का रुझान बढ़ा है। प्राइवेट अस्पतालों में कमी आई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 से यह बात निकलकर सामने आई है। पिछले सर्वेक्षण में बिहार में 12 से 23 माह तक के 95.5 फीसदी बच्चे अपना अधिकतम टीका सरकारी अस्पतालों में लेते थे, जो नए सर्वेक्षण में बढ़कर 96.6 फीसदी हो गया है।
जबकि, प्राइवेट अस्पतालों में 3.9 फीसदी से घटकर 2.2 हो गया है। नालंदा, सीतामढ़ी और सीवान में ताे सौ फीसदी बच्चों का अधिकतम नियमित टीकाकरण सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। सर्वाधिक वृद्धि पटना में हुई है। सर्वेक्षण-4 के अनुसार यहां 84.6 फीसदी बच्चों का अधिकतम नियमित टीकाकरण सरकारी अस्पतालों में होता था, जो सर्वेक्षण-5 में बढ़कर 94.9 हो गया है। इस तरह 10.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो राज्यभर में सर्वाधिक है। सारण दूसरे स्थान पर है, जहां 91.1 फीसदी से बढ़कर 99.1 फीसदी हो गया। सारण में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
पटना के निजी अस्पतालों में कमी
पटना में प्राइवेट अस्पतालों में टीकाकरण कराने में सर्वाधिक कमी दर्ज की गई है। बीते सर्वेक्षण में पटना में 13.7 फीसदी बच्चे अपना अधिकतम टीका निजी अस्पतालों में लेते थे जो घटकर 5.1 फीसदी हो गया। पटना में 8.6 फीसदी की कमी हुई जो राज्य में सर्वाधिक कमी है। दूसरे स्थान पर सीवान है। यहां पहले 6 फीसदी बच्चे अपना अधिकतम टीका निजी अस्पताल में लेते थे जो घटकर जीरो फीसदी हो गया। तीसरे स्थान पर सारण है, जहां 5.9 फीसदी बच्चे पहले टीका प्राइवेट अस्पतालों में लेते थे जो घटकर 0.9 फीसदी हो गया। सारण में भी 5 फीसदी की कमी आई है।
सरकारी अस्पतालों की तरफ रुझान क्यों
राज्य के कई जिलों के सरकारी अस्पतालों में मॉडल टीकाकरण केंद्र की शुरुआत की गई है। पटना में न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल को मॉडल टीकाकरण केंद्र बनाया गया है। यहां प्राइवेट अस्पतालों की तरह ही सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में महंगे टीके भी नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.