उपेंद्र कुशवाहा ने साधा डिप्टी सीएम पर निशाना:बोले- सीएम के रूप में तेजस्वी कबूल नहीं, जदयू बोला-राजद के साथ कोई ‘डील’ नहीं

पटना2 महीने पहले
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उपेंद्र कुशवाहा। - Dainik Bhaskar
उपेंद्र कुशवाहा।

जदयू के वरीय नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि तेजस्वी यादव, मुख्यमंत्री या महागठबंधन के नेता के रूप में बिल्कुल कबूल नहीं हैं। इसके लिए बिहार की जनता कभी तैयार नहीं होगी। अगर ऐसा हुआ, तो डूबते जदयू को पूरी तरह डूब जाने से कोई नहीं बचा पाएगा। उपेंद्र से पूछा गया था कि ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने की बात कही हुई है।’ उपेंद्र ने कहा-’यह असंभव है। और इसलिए मैं कह रहा हूं कि इस बारे में जदयू द्वारा राजद से की गई ‘डील’ तुरंत खत्म की जाए। यह जदयू के अस्तित्व के लिए जरूरी है।’

उपेंद्र की सलाह रही कि जदयू का शीर्षस्थ नेतृत्व, मुख्यमंत्री या नेता पद के लिए तेजस्वी की बजाय अति पिछड़ा, लव-कुश जमात के या सामाजिक न्याय पसंद करने वाले किसी भी नेता को आगे लाए। तभी डूबता हुआ जदयू, पूरी तरह डूबने या बर्बाद होने से बच सकता है। एक अन्य सवाल के जवाब में उपेंद्र ने कहा कि ‘मैं तो नीतीश कुमार और ललन सिंह से बातचीत के इंतजार में बैठा हूं। लेकिन मुझे बुलाया ही नहीं जा रहा है। ...मैं एमएलसी पद का इस्तीफा जेब में लेकर घूम रहा हूं। जब मुख्यमंत्री कहेंगे, दे दूंगा। इधर, जदयू के एमएलसी रामेश्वर महतो, उपेंद्र से मिले।

जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा की इस बात को खारिज किया कि उसकी राजद के साथ कोई ‘डील’ है। जदयू के अनुसार, हां, महागठबंधन के बीच ‘भाजपा हराओ’ की डील जरूर है। इधर, जदयू के वरीय नेता व ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि ‘जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा को लगातार सम्मान दिया। अगर वे इस बारे में एक बार भी सोचते, तो अभी जैसी अनर्गल बयानबाजी नहीं करते। उपेंद्र, राजद से गठबंधन होते वक्त चुप क्यों रहे? वे कहां जाना चाहते हैं, बिहार की जनता अच्छी तरह जान गई है।’

श्रवण के अनुसार, ’उपेंद्र को इतने सम्मान के बाद भी यदि वे अपने को उपेक्षित समझते हैं, तो इस पर क्या बोला जा सकता है?’ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीते 17 वर्षों से बिहार में कानून का राज स्थापित है। हम 2024 के लोकसभा चुनाव में देश भर में भाजपा का सफाया कर देंगे।’

इधर, जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जदयू से अलग होने की बात तय कर चुके हैं। उनकी बातें, रवैया इसकी गवाही है। अपनी इसी मंशा को अंजाम देने के लिए वे यह सब कर रहे हैं। राजद के साथ कोई ‘डील’ नहीं हुई है। हां, महागठबंधन के सभी 7 दलों के बीच ‘भाजपा हराओ’ की डील जरूर है।

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