जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए नेपाल में हाई डैम जरूरी है। लेकिन इसमें विलंब के कारण बिहार सरकार बाढ़ का स्थानीय स्तर पर समाधान तलाशने का प्रयास कर रही है। बिहार की छोटी नदियों को इंटरलिंक करने पर हम काम कर रहे हैं। वे शुक्रवार को बाढ़ व सूखे के स्थायी उपाय को लेकर आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन कर रहे थे। जल संसाधन विभाग के दो दिनों के इस आयोजन का विषय है-’बिहार में बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई सुधार की संभावनाओं पर पुनर्दृष्टि।’ इसमें फ्रांस, दक्षिण कोरिया, इटली व नेपाल के विशेषज्ञों ने सुझाव दिए; शोध पत्र प्रस्तुत किए।
इसमें आईआईटी (रूड़की), हैदराबाद, कोलकाता, इजरायल, बांग्लादेश, नीदरलैंड के विशेषज्ञों की भी हिस्सेदारी होगी। वेबिनार को जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने भी संबोधित किया। स्वागत भाषण विभाग के प्लानिंग एंड मॉनीटरिंग के चीफ इंजीनियर नंद कुमार झा ने किया। संचालन, एफएमआईएससी की डिप्टी डायरेक्टर आरती सिंह किया। विभाग के इंजीनियरों ने विशेषज्ञों से सवाल पूछे।
बाढ़ के प्रभाव को कम करना शीर्ष प्राथमिकता में
संजय झा ने कहा कि बाढ़ के प्रभाव को कम करना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा शुरू किए गए जल-जीवन-हरियाली अभियान की व्यापक चर्चा की। कहा-इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें (मुख्यमंत्री) क्लाइमेट लीडर कहा। मंत्री ने बाढ़ की सालाना भयावहता के हवाले कहा कि अब तक 3800 किलोमीटर तटबंध का निर्माण किया गया है।
इससे 36.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को उचित संरक्षण मिला है। उन्होंने विस्तार से बताया कि बाढ़ से बचाव के लिए इधर के दिनों में क्या सब किया गया है। कहा-तटबंधों की सुरक्षा के लिए स्टील शीट पाइलिंग जैसी आधुनिक तकनीक कारगर है। अर्ली वार्निंग सिस्टम, चौबीसों घंटे का कॉल सेंटर, सोशल मीडिया का उपयोग असरदार है। उनके अनुसार स्थायी बाढ़ प्रबंधन के लिए कई उपाय हो सकते हैं। मसलन, नदियों को आपस में जोड़ना, लुप्त प्राय नदियों का पुनर्जीवन, छोटी धाराओं और चेक डैम का निर्माण, वाटर शेड प्रबंधन आदि। उन्होंने गंगा जल उद्वह योजना के बारे में भी बताया।
इनका हुआ प्रेजेंटेशन
एजिस इंडिया के डॉ. एम. दिनेश कुमार, मनोज कुमार चौहान, नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी के चीफ इंजीनियर डॉ. आरएन संखुआ, आईआईटी रूड़की के प्रो. एएस मौर्या, रीजनल सेंटर फॉर अर्बन एंडइन्वायरनमेंट स्टडीज लखनऊ के निखिल कुमार श्रीवास्तव, दक्षिण कोरिया के डॉ. एसके सिंह, इटली के मिनिमलकोरूला, नेपाल की नीना श्रेष्ठा प्रधान आदि ने अपने शोध पत्र एवं प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किए।
सुझाव : उत्तर बिहार के पानी को दक्षिण बिहार पहुंचाएं
विशेषज्ञों ने तटबंधों के निर्माण से पहले और बाद में नदी किनारे बसी आबादी तथा अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव का विस्तृत अध्ययन कराने की बात कही। उनके अनुसार उत्तर बिहार से पानी को दक्षिण बिहार पहुंचाया जाए। अर्ली वार्निंग के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया जाए। जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए लंबी अवधि के प्रभावों को ध्यान में रखकर योजना बने।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.