सोननगर-पतरातू की तीसरी रेल लाइन के सिगसिगी-गढ़वा रोड और गढ़वा रोड- राजहरा सेक्शन को कमिश्नर रेल सेफ्टी ने 11 जनवरी को खतरनाक बताया। पूर्व मध्य रेलवे ने 12 जनवरी को रेल परिचालन से इनकार किया। इसके 22 दिन बाद, 3 फरवरी को उसी सेक्शन पर ट्रेन दौड़ने लगी।
प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर दिनेश कुमार ने रेल विकास निगम को हिदायत दी थी कि रूट के रेल पुलों की स्थिति अलार्मिंग है। इस सबके बीच हाजीपुर में बैठे हाकिमों ने निर्माण में हुई गंभीर गड़बड़ियों के मद्देनजर बस एक सावधानी बरती कि 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए बने ट्रैक के 21 किमी हिस्से में स्पीड लिमिट 75 और रेल ब्रिजों पर 40 किमी कर दी।
और खतरा टालने का उपाय सुझाने के लिए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-चेन्नई को जिम्मा सौंप दिया।
सोननगर से झारखंड के पतरातू के बीच बनी 293 किलोमीटर लंबी तीसरी नई रेल लाइन को पूर्व मध्य रेलवे के हाजीपुर मुख्यालय ने खतरनाक बताया है। इसके राजहरा-गढ़वा रोड और गढ़वा रोड-सिगसिगी सेक्शन की बीते 10 जनवरी 2023 को जांच हुई। 11 जनवरी 2023 को कोलकाता स्थित रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) शुभोमय मित्रा ने ट्रैक में गंभीर तकनीकी गड़बड़ियों की रिपोर्ट दी।
इसी आधार पर पूमरे ने 12 जनवरी को रेल विकास निगम को पुलों व रेलवे ट्रैक के खतरों को दूर करने से पहले ट्रेन चलाने की अनुमति देने से इनकार दिया। सीआरएस ने गढ़वा रोड से राजहरा के बीच 752 ईआरसी यानी इलास्टिक रेल क्लिप की जांच की। इनमें से 717 पर्याप्त भार सहन करने के लायक नहीं पाए गए। क्लिप, स्लीपर को पटरी से जोड़ने वाली कुंडी होती है। सीआरएस ने इन सबको बदलने के लिए कहा है। बता दें कि गढ़वा रोड-सिगसिगी सेक्शन के बीच 4000 करोड़ की लागत से नई रेल लाइन का निर्माण रेल विकास निगम के पटना स्थित प्रोजेक्ट मैनेजर केके भार्गव और गढ़वा रोड से रजहरा के बीच रांची स्थित चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर विशाल आनंद के निर्देशन में हुआ है।
सोननगर-पतरातू के जिस सीएसआईआर की रिपोर्ट आने तक इस रेल लाइन पर कम स्पीड से दर्जनभर पैसेंजर व मालगाड़ियां दौड़ती रहेंगी। इस ट्रैक पर कोलकाता एक्सप्रेस, पलामू एक्सप्रेस, बनारस-संबलपुर एक्सप्रेस, बनारस-रांची एक्सप्रेस, रांची-चोपन एक्सप्रेस, गोमो-पटना एक्सप्रेस, पटना बरकाकाना जं. स्पेशल. पटना-सिंगरौली स्पेशल, इंटरसिटी एक्सप्रेस समेत कई सवारी और मालगाड़ियां चलती हैं।
रफ्तार घटाने से रोग दूर होगा? जिम्मेदार कौन?
सेक्शन तकनीकी मानकों पर कमजोर और खतरनाक है तो इसके लिए जिम्मेवार पर क्या कार्रवाई की गई ?
जवाबः सीआरएस ने रेलवे को कुछ बिन्दुओं पर जांच करने के लिए कहा था। आरवीएनएल से पूछा गया, उत्तर संतोषजनक था।
रोक के बाद भी उस सेक्शन में ट्रेन का परिचालन किसकी अनुमति से शुरू हुआ?
जवाबः जांच के उपरांत परिचालन का निर्णय हुआ।
ब्रिज 227 एवं 228 जहां स्वॉयल बियरिंग कैपेसिटी फाउंडिंग प्रेशर से कम है। वहां सुधार संभव है ?
जवाबः आरवीएनएल द्वारा सुधारात्मक कार्रवाई की गई है।
40 की रफ्तार से ट्रेन चलाने से उद्देश्य पूरा हो रहा है ?
जवाबः सीएसआईआर की रिपोर्ट पर कार्रवाई की जाएगी।
ब्रिज 192 की नींव में कमजोर सरिया लगा है?
जवाबः सीएसआईआर चेन्नई द्वारा स्टडी की जा रही हैं।
जवाब पर भी उठ रहे सवाल
राजहरा में बने 231 नंबर ब्रिज का कंक्रीट ही कमजोर
(पूमरे के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार का जवाब)
स्थानः पंजरी कला, ब्रिजः 227,228 नींव की मिट्टी की क्षमता दबाव से कम
राजहरा के पास स्थित इस छोटे पुल की स्वॉयल बियरिंग कैपेसिटी कम पाई गई। अधिकतर मामलों में मिट्टी की निचली परत की जांच ही नहीं की गई है।
स्थानः सिगसिगी, ब्रिज नंः192 खूंटी सोत पर बने पुल की नींव ही कमजोर सीआरएस ने पुल की नींव के सरिये को न्यूनतम मानक से भी कम बताया है। पुल को जंग लगने से बचाने के लिए जस्ते की पर्याप्त परत भी नहीं है।
स्थान ः घोघरा, ब्रिज नंः 210 धनकही नदी पर बना पुल गड़बड़ | सीआरएस ने पुल के कंक्रीट में मधुमक्खी के छत्ते जैसी आकृति पाई। पूमरे के प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर दिनेश कुमार ने भी इसके कंक्रीट को कमजोर बताया है।
यह रेल पुल राजहरा स्टेशन से थोड़ी दूर है। पूमरे के प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर दिनेश कुमार ने लिखा है कि इसके कंक्रीट की मजबूती संतोषजनक नहीं है। सीआरएस शुभोमोय मित्रा ने भी इस पुल की तकनीकी खामियों के बारे में विस्तार से लिखा है।
रेल लाइन में गड़बड़ी तो ट्रेन चलाने की हड़बड़ी क्यों?
-140 की स्पीड से चलने के लिए बने पुल पर 40 की स्पीड क्यों? -जिम्मेवार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई? -पुल बनाने में अनियमितता की क्या अभी तक कोई जांच हुई है? -पूर्व मध्य रेलवे ने काम की गंभीरता से निगरानी नहीं की? -प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर की रिपोर्ट पर क्या कदम उठा? -सोननगर-पतरातू रेलखंड की बाकी गड़बड़ी दूर कैसे होगी?
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