एक्साइज सुपरिटेंडेंट अविनाश प्रकाश की पोस्टिंग मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) में तकरीबन 2 साल पहले हुई थी। उनके ऊपर उस जिले में बिहार सरकार के पूर्ण शराबबंदी कानून को पूरी तरह से लागू कराने की जिम्मेदारी थी। शराब माफिया के खिलाफ सख्त एक्शन लेना था, लेकिन हुआ सब कुछ उल्टा। जिले के लोग बताते हैं, 'अविनाश प्रकाश के मोतिहारी में आने के बाद से शराब के अवैध कारोबार पर लगाम लगने की जगह वो और बढ़ता ही चला गया। इनकी सांठगांठ की वजह से शराब माफिया खुलकर अपना धंधा करने लगे।
शराब माफिया के ठिकाने पर कार्रवाई करते थे, पर किसी भी माफिया को पकड़ते नहीं थे। सब दिखावे के लिए होता था। माफिया के साथ इनकी सांठगांठ ऐसी थी कि मोतिहारी को बंदी के बाद भी शराब का हब बनवा दिया। दूसरे राज्यों से कच्ची स्प्रिट से लेकर विदेशी शराब की खेप धड़ल्ले से आती थी। यहां तक कि माफिया दूध के टैंकर में स्प्रिट मंगवा रहे थे। गोपालगंज के रास्ते उत्तर प्रदेश से स्प्रिट और शराब की खेप आती थी। यही नहीं, मोतिहारी में तो नेपाल की बनी हुई शराब भी पीने वालों तक आराम से पहुंचाई जाती थी। सरकारी पद पर बैठकर अविनाश भ्रष्टाचार में जमकर लिप्त थे। तभी इनकी शिकायत सरकार से लेकर स्पेशल विजिलेंस यूनिट तक पहुंची।
छूट का नतीजा है जहरीली शराब कांड
जहरीली शराब की वजह से बिहार में अब तक कई कांड सामने आ चुके हैं। इसमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसमें मोतिहारी भी शामिल है। इस जिले में भी जहरीली शराब पीकर लोगों की मौतें हुई हैं। इसी साल कुछ महीने पहले एक साथ 4 लोगों की मौत सिर्फ शराब पीने से हुई थी।
पुलिस टीम पर हुआ था हमला
सुपरिटेंडेंट से मिली छूट का ही नतीजा है कि शराब माफिया केसरिया, कोटवा, चकिया, मधुबन और पिपरा ब्लॉक के तहत छोटे-छोटे गांव में देसी शराब बनाने की भट्टी चलाने लगे। वहां देसी शराब बनती भी थी और धड़ल्ले से उसकी सप्लाई भी होती थी। बात इसी साल के 21 अप्रैल की है। शराब तस्करी की सूचना मिलने पर जब कोटवा थाना की पुलिस नयका टोला गांव छापेमारी करने गई थी तो माफिया के लोगों ने उन पर हमला कर दिया था। थानेदार नितिन कुमार समेत 6 पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।
दबंगई इतनी की पत्रकारों पर ही करवा दिया था केस
एक्साइज सुपरिटेंडेंट होने के साथ ही अविनाश प्रकाश दबंगई अंदाज भी दिखाते थे। जिले में इनके कारनामों पर अगर किसी ने सवाल उठाया तो वो उसे डराते-धमकाते भी थे। सबसे ज्यादा इन्होंने पत्रकारों को डराया-धमकाया। बात यहीं तक सीमित नहीं रही। इन्होंने कुछ पत्रकारों के खिलाफ तो FIR तक दर्ज करा दी थी।
कहां से कमाया इतना धन?
बुधवार को स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) की टीम ने सुपरिटेंडेंट के पटना, मोतिहारी और खगड़िया के ठिकानों को खंगाला था। इसमें इनके करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति का पता चला। अकेले पटना में ही इनका 1 बीघा जमीन पर फार्म हाउस की तरह आलीशान घर मिला। घर के अंदर की सुविधाएं ऐसी थी कि जिसे देख SVU के अधिकारियों के होश उड़ गए थे। घर के अंदर से नोट गिनने वाली मशीन भी मिली। अब सवाल यह उठ रहा कि इतना धन इनके पास से आया कहां से? अब इस सवाल का जवाब खुद सुपरिटेंडेंट भी नहीं दे पा रहे हैं। क्योंकि, सरकारी नौकरी की आमदनी से कोई भी अधिकारी करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति नहीं बना सकता।
अविनाश प्रकाश पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप
SVU के अनुसार, उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश ने अपने सेवा काल के दौरान आय से वैध स्रोत से अधिक धनार्जन कर पटना एवं अन्य स्थानों पर अचल संपत्ति बनाई है। इसके लिए उन्होंने परिजनों व मित्रों तथा अन्य के माध्यम से मनी लौंड्रिंग कर काले धन को सफेद बनाने का भी प्रयास किया है।
एक बीघा जमीन पर पटना में आलीशान घर
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