48 घंटे में भ्रष्ट IPS को दी गई थी क्लीनचिट:DGP ने IO को छुट्‌टी में फ्लाइट से बुलाया; कार्रवाई की मांग

पटना8 महीने पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
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DGP के साइबर क्रिमिनल के झांसे में आकर भ्रष्ट IPS को क्लीनचिट देने के मामले में एक और खुलासा हुआ है। चीफ जस्टिस के नाम से फोन करने वाले साइबर अपराधी का इतना खौफ था कि DGP ने इंवेस्टिगेशन ऑफिसर (IO) को छुट्‌टी में चेन्नई से फ्लाइट से पटना बुला लिया था। भ्रष्ट IPS को क्लीनचिट देने की इतनी जल्दी थी कि महज 48 घंटे में मामला रफा-दफा कर दिया गया।

यह खुलासा भास्कर की पड़ताल में यह हुआ है। बिहार पुलिस से जुड़े सूत्रों की माने तो IPS आदित्य कुमार को शराब कांड में क्लीनचिट देने वाला अफसर भी जांच टीम के रडार पर है। पटना पुलिस में एसोसिएशन ने डीजीपी को बर्खास्त करने की कार्रवाई की मांग की है।

पुलिस विभाग के सूत्रों की माने तो जब अभिषेक अग्रवाल खुद को चीफ जस्टिस बनकर लगातार डीजीपी को फोन करने लगा, तो वह पूरी तरह से डर गए। वह सर-सर कहकर बात करने लगे। अभिषेक ने डीजीपी पर इतना खौफ बनाया कि वह हर बात मानते गए। सूत्रों का कहना है कि अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को 48 घंटे का समय दिया था।

डीजीपी ने इसको काफी गंभीरता से ले लिया और निर्धारित समय में ही एसएसपी को क्लीनचिट दे दी। पुलिस मुख्यालय के सूत्रों की माने तो DSP की तरफ से SSP वाले केस के IO डीएसपी सुबोध कुमार को यह कहा गया कि 24 घंटे में पटना नहीं आए तो कार्रवाई कर दी जाएगी।

चेन्नई से काम छोड़कर आना पड़ा था पटना

सूत्रों का कहना है कि आईओ चेन्नई में था, वह अपने बच्चे की पढ़ाई को लेकर किसी काम से गया था। काम पूरा भी नहीं हुआ था और व्यक्तिगत काम के लिए छुट्‌टी लिया था, लेकिन दबाव ऐसा बनाया गया कि चेन्नई से फ्लाइट से वापस पटना आना पड़ा। इस तरह अफसरों के भारी दबाव में एसएसपी के शराब से जुड़े मामले में क्लीनचिट दे दी गई। पूरी प्रक्रिया 48 घंटे के दौरान पूरी कर दी गई, जैसा कि साइबर क्रिमिनल की तरफ से समय दिया गया था। IPS आदित्य कुमार पर गया के फेतहपुर थाना में केस दर्ज हुआ था, जिसकी विवेचना मद्य निषेध के डीएसपी सुबोध कुमार कर रहे थे।

एसोसिएशन की DGP को बर्खास्त करने की मांग

पटना पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष एनके धीरज ने तो डीजीपी को मानसिक रूप से बीमार बताते हुए बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से मांग की है कि एसके सिंघल मानसिक रूप से बीमार पदाधिकारी हैं, इन्होंने अपने कार्यकाल में अपनी ओछी हरकतों से बिहार पुलिस की प्रतिष्ठा को काफी धूमिल किया है। इससे राज्य सरकार की गरिमा को भी ठेस पहुंची है। इनके प्रति संवेदनशीलता नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ एक ठग व्यक्ति 56 बार इनसे बात करके एक अनाधिकृत काम करने का दबाव बनाता है। आश्चर्य की बात है कि संवैधानिक पुलिस प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति उसके झांसे में आकर गंभीर प्रकृति के मामला को समाप्त करते हुए मिस्टेक ऑफ लॉ करार देता है।

दूसरी तरफ एफआईआर दर्ज करा रहे हैं कि मुझे संदेह हुआ दोनों बातें अपने आप में विरोधाभास है। जब संदेह हुआ फिर उस व्यक्ति के प्रभाव में आकर गैर कानूनी निर्णय क्यों लिए इससे प्रमाणित होता है कि मामले कोई न कोई बड़ा खेल है। साजिश रचकर विभाग को तबाह करने की मंशा पर ही काम किया जा रहा है। एसोसिएशन की तरफ से डीजीपी एसके सिंघल को बर्खास्त करने की मांग की गई है।

जांच को लेकर सवाल, न्यायिक जांच की मांग

आईपीएस आदित्य पर हुए केस में काफी खेल हुआ है। इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए तो खुलासा और भी बड़ा हो सकता है। मामले को लेकर जांच पड़ताल चल रही है, अभिषेक को रिमांड पर भी लिया गया है, लेकिन पुलिस विभाग के रिटायर्ड अफसर ही कह रहे हैं कि ऐसी जांच में निष्पक्षता नहीं हो सकती है। जब डीजीपी के पद पर तैनात आईपीएस की जांच कराई जा रही है और उसके ही अधीन विभाग से जांच हो रही है तो बड़ा सवाल है।

एसोसिएशन के साथ रिटायर्ड पुलिस अफसरों का कहना है कि इस मामले में सरकार को कोई बड़ा निर्णय लेना चाहिए। न्यायिक जांच की व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। यह तय किया जाना चाहिए कि डीजीपी ने क्यों क्लीनचिट दिया। क्या उनकी जवाबदेही है, ऐसे अन्य कितने काम को डीजीपी के द्वारा ऐसे साइबर ठगों के द्वारा फोन कर कराया गया है। इस मामले को लेकर सरकार को अब पूरी तरह से गंभीर होना चाहिए।

DGP ने SSP को शराबकांड से बरी ही नहीं किया, पोस्टिंग की अनुशंसा भी की
बिहार पुलिस के मुखिया साइबर फ्रॉड में फंसते गए। चीफ जस्टिस के नाम पर अपराधी जो कहता गया, वह वही करते गए। विभाग के सबसे बड़े अफसर के साथ हुई इस घटना ने सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे बड़ा सवाल डीजीपी के दावे में है, कि जब उन्हें शक हो गया तो फिर IPS को शराब कांड से क्यों बरी कर दिया?

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