अपहरण केस में दानापुर कोर्ट ने कार्तिक कुमार की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी है। अब किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कारण भी बताया और कहा कि आवेदक अभियुक्त ने उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन नहीं किया। अपर लोक अभियोजक का कहना है कि याचिका में आवश्यक तथ्यों को छिपाने का प्रयास किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि जमानत आवेदन के साथ FIR और चार्जशीट की कॉपी तो लगाई गई है, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेशों की कॉपी नहीं लगाई गई है और ना ही उनके फैक्ट का उल्लेख जमानत आवेदन में किया गया है। मामले में तथ्यों और परिस्थितियों व विशेषकर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उच्च न्यायालय ने पहले ही अग्रिम जमानत को खारिज किया है, इस अग्रिम जमानत आवेदन को अस्वीकृत किया जाता है।
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा है कि मामले की पहले ही जानकारी मिल गई थी इसलिए उनसे इस्तीफा ले लिया गया। इधर, सुशील मोदी ने ट्वीट किया कि कार्तिक कुमार की बेल याचिका ख़ारिज होने के बाद अविलम्ब उसे गिरफ्तार करें।
कोर्ट ने 1 सितंबर तक की रोक लगाई थी। उन्हें या तो कोर्ट में सरेंडर करना पड़ेगा, नहीं तो उनकी गिरफ्तारी होगी। पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह के करीबी मास्टर कार्तिक साल 2014 के अपहरण के एक मामले में आरोपित हैं।
राजद बोली- कार्तिक ने उदाहरण पेश किया, भाजपा मुंह दिखाने लायक नहीं
राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि कार्तिक सिंह पर न्यायालय के फैसले का हम सम्मान करते हैं। कानूनी प्रक्रिया के तहत जो होगा, वो किया जाएगा। लेकिन भाजपा के लोगों को शर्म आनी चाहिए, जो तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। भारत सरकार के 33 मंत्रियों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इसमें 24 ऐसे हैं, जिनपर गंभीर मामले हैं। बिहार में भाजपा के 74 में से 47 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्री पद से इस्तीफा देकर कार्तिक सिंह ने उदाहरण पेश किया है। भाजपा के लोग मुंह दिखाने लायक नहीं है। भाजपा में हिम्मत है तो केंद्र सरकार के आपराधिक छवि वाले मंत्रियों से इस्तीफा दिलवाए।
बता दें कि महागठबंधन की सरकार बनने के महज 22 दिन बाद कार्तिक कुमार ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कल ही विभाग बदल कर उन्हें गन्ना उद्योग मंत्रालय सौंपा गया था, जिसके बाद उन्होंने देर शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
मीडिया ट्रायल से परेशान होकर इस्तीफा दिया
अपने इस्तीफे पर कार्तिक कुमार ने कहा- मेरी वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम खराब हो, यह मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा के रोज मीडिया ट्रायल से मैंने परेशान होकर इस्तीफा देना उचित समझा।
कार्तिक कुमार ने कहा- ताउम्र मेरे ऊपर इस केस के अलावा कोई दूसरा केस नहीं है। मैंने 27 सालों तक सरकारी नौकरी की है। अनंत सिंह और उनके बड़े भाई से मेरे रिश्ते रहे हैं, इससे मैं इनकार नहीं करता हूं। उसी का फायदा उठाकर भाजपा हमारे नेता को बदनाम कर रही थी।
बता दें कि जमानत पर सुनवाई से 24 घंटे पहले गन्ना उद्योग मंत्री कार्तिक कुमार ने बुधवार की देर शाम इस्तीफा दे दिया था। बुधवार सुबह ही उनका विभाग बदला गया था। उनसे विधि विभाग लेकर गन्ना उद्योग विभाग दिया गया था।
अभी पहला विकेट गिरा है और भी गिरेंगे: सुशील मोदी
कार्तिक कुमार के इस्तीफे पर सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि नीतीश कुमार पहले ओवर में ही क्लीन बोल्ड हो गए ।अभी तो कार्तिक कुमार का पहला विकेट गिरा है अभी और कई विकेट गिरेंगे।
पहले अपने गिरेबान में झांक लें: JDU
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सुशील मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि नीतीश जी को चुनौती देने से पहले अपने गिरेबान में झांक लें। उत्तर प्रदेश सरकार के कारनामों को देख लें। यूपी के मंत्री राकेश सचान को कितने साल की सजा हुई है ? सजायाफ्ता होने के बाद भी मंत्री बने हैं कि नहीं ? मंत्री जी अदालत से सजा की कॉपी लेकर भाग गए।
कुछ बोलने से पहले थोड़ी तो शर्मिंदगी का अहसास कीजिए। नीतीश जी को ज्ञान देने की जरूरत नहीं है। एक कहावत है, 'चलनी दूसे सूप को जिसमें खुद बहत्तर छेद'... नैतिकता का पाठ पढ़ाने से पहले अपनी नैतिकता का भी आकलन कर लें। लखीमपुर खीरी का जवाब भी जनता आपसे जानना चाहती है। जरा मुंह तो खोलिए, कुछ तो बोलिए..! और जरा यह भी बताइये कि लखीमपुर खीरी की घटना पर सर्वोच्च न्यायालय ने क्या-क्या टिप्पणियां की थी आपकी उत्तरप्रदेश सरकार पर। आत्ममंथन कीजिए, चिंतन-मनन कीजिए..... तब बोलिए।
क्या है मामला
2014 में बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह के साथ कार्तिक सिंह और अन्य बिहटा में राजू सिंह का अपहरण करने गए थे। उसी मामले में बिहटा थाने में FIR की गई थी। उसमें कार्तिक भी आरोपित बनाए गए। अपहरण के मामले में उनके खिलाफ वारंट निकला था और उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था। इसी क्रम में 10 अगस्त को महागठबंधन की सरकार बन गई। दो दिन बाद 12 अगस्त को कोर्ट ने उनको एक सितंबर तक के लिए राहत दे दी थी। इसके बाद 16 अगस्त को कार्तिक सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली। उन्हें कानून मंत्री बनाया गया।
BJP लगातार हमलावर
सत्ता से बाहर हुई BJP को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया जिसके बाद BJP ने फ्रंट पर आकर नीतीश सरकार के मंत्री को घेर रही है। BJP ने आरोप लगया कि नई सरकार में जंगलराज की वापसी हो रही है। BJP नेता सुशील मोदी के अनुसार महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में बाहुबलियों की भरमार कर नीतीश कुमार ने बिहार में डरावने दिनों की वापसी सुनिश्चित कर दी है। सुशील मोदी लगातार ऐसे दागी मंत्रियों के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखे हुए है।
कौन हैं कार्तिक
2022 में ही कार्तिक सिंह उर्फ मास्टर कार्तिक स्थानीय प्राधिकार से विधान परिषद सदस्य चुने गए थे। बाहुबली अनंत सिंह के काफी करीबी माने जाने वाले मास्टर कार्तिक ने स्नातक किया है। रुद्रावती हाईस्कूल मोकामा से 1980 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने इंटर किया और 1985 में आरआरएस कालेज मोकामा से कला विषय में स्नातक किया।
सिवनार गांव के रहने वाले मास्टर कार्तिक खेती, व्यवसाय के साथ ही समाज सेवा से जुड़े हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान राजद में आए। 2022 में विधान परिषद चुने गए और नीतीश कैबिनेट में मंत्री भी बन गए। मास्टर कार्तिक के खिलाफ पटना के कोतवाली समेत मोकामा और बिहटा में मामले दर्ज हैं।
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