बिहार में भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए समाज कल्याण विभाग के तहत सर्वे किया जा रहा है। 24 सितंबर तक लगभग 11 हजार लोगों को सर्वे के आधार पर चिह्नित किया गया है। जिसमें 35 फीसदी महिलाएं और 15 फीसदी बच्चे हैं। सक्षम द्वारा चलाए जाने वाले मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत चयनित लोगों को उम्र के मुताबिक रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ ही आवश्यकतानुसार आवास उपलब्ध करवाया जाएगा। इस दौरान रोजगार करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी।
सर्वे टीम ने बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिलाया
बिहार के 38 जिलों में सक्षम की ओर से सर्वे करवाया जा रहा है। भिक्षावृत्ति करने वालों को चिह्नित किया गया है। प्रत्येक जिले में सर्वे टीम की ओर से भिक्षावृत्ति करने वालों से बातचीत करने के उनके साथ होने वाली घटना, भिक्षावृत्ति करने की वजह के साथ ही परिवार के बारे में जानकारी ली। इस दौरान सर्वे टीम दर्जनों लोगों को उनके परिवार से मुलाकात करवाई।
सर्वे टीम के मुताबिक बिहार में 15 फीसदी बच्चों के साथ ही 35 फीसदी महिलाएं भिक्षावृत्ति से जुड़ी है। भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चे अधिकांश अनाथ है। जबकि, महिलाएं बेसहारा है। ऐसे में कार्यक्रम के द्वारा उनको रोजगार के साथ ही बुजुर्गों को आवास और बच्चों को तकनीकी जानकारी देने के साथ ही पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी।
पटना में लगभग 2700 लोग कर रहे भिक्षावृत्ति
बिहार में भिक्षावृत्ति करने वालों में सबसे अधिक संख्या पटना में है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पटना में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बोरिंग रोड, डाकबंगला, बेली रोड, पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, एम्स सहित अन्य मुख्य जगहों पर लगभग 27 सौ लोग मजबूरन भिक्षावृत्ति करते है। जिसमें लगभग 800 महिलाएं हैं। वहीं बांका, जमुई जैसे जिले में मजबूरन भिक्षावृत्ति करने वालों की संख्या 5 है।
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