बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के 3 डॉक्टरों ने मिलकर सर्जरी का नया रिकॉर्ड बनाया है। टूटकर बाहर निकली गाय के पैर की हड्डी को 5 घंटे के ऑपरेशन में फिक्स कर उसे चला दिया। गाय सर्जरी के बाद ही लोड के साथ पैर पर खड़ी हुई और सामान्य जानवरों की तरह चलने लगी। ऐसे मामलों में जानवरों के पैर तक काटने पड़ते हैं। इस सर्जरी में बिहार में पहली बार सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर का प्रयोग किया गया है। सर्जरी करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि इंसानों की तरह जानवरों के लिए भी सर्जरी की हाई टेक व्यवस्था की जा रही है।
पेट में बच्चा होने से गाय के पैर काटने की नौबत
बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर सर्जन डॉ. जीडी सिंह ने बताया कि आरा के रहने वाले एक पशु पालक की गाय को चोट लग गई थी, जिससे उसके पैर की मोटी हड्डी टूटकर बाहर आ गई थी। ऐसे मामलों में बिहार में सर्जरी नहीं हो पाती थी। टूटी हड्डी में इंफेक्शन के कारण जानवर फिर खड़े नहीं हो पाते थे और उनका पैर तक काटना पड़ता था। पशु पालक काफी परेशान था।
पेट में बच्चा होने से गाय की परेशानी और बढ़ गई। गाय को किसी तरह पटना चिकित्सा महाविद्यालय लाया गया और सर्जरी से गाय फिर से खड़ी हो गई। बिहार में पहली बार बड़े पशु की आधुनिक तकनीक से सर्जरी की गई है। ऐसे मामलों में पहले पशुओं की जान बचाने के लिए उनके पैर काटने पड़ते थे।
एक्सटर्नल फिक्सेटर से गाय हुई फिट
डॉ जीडी सिंह के साथ डॉ राजेश कुमार और डॉक्टर रमेश तिवारी ने टीम के साथ बिहार में पशु सर्जरी का बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। वेटरनरी कॉलेज के 3 जूनियर डॉक्टर डॉ पल्लवी, डॉ निशा और डॉ आदित्य को भी इस मॉडर्न सर्जरी में शामिल किया गया था। डॉक्टर जीडी सिंह ने बताया कि आरा जिले से आई गाय की हालत काफी खराब थी।
गाय के आगे के दाहिने पैर की हड्डी टूटकर बाहर निकल गई थी। यह काफी जटिल कंपाउंड फ्रैक्चर था। ऐसे मामले में पशु बार बार खड़े होने की कोशिश करते हैं। जिससे टूटी हड्डी और खराब हो जाती है। गाय की हड्डी काफी खराब हो गई थी और संक्रमण होने का खतरा था। गाय के पेट में बच्चा था और उसकी जान बचाने के लिए बड़ा प्रयोग किया गया।
8 पिन की मदद से हड्डी हो गई फिक्स
डॉ राजेश इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट से सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर से ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं। वह इस गाय पर प्रयोग किए जो राज्य की पहली सर्जरी का रिकॉर्ड बन गई। पटना वेटनरी कॉलेज में हुए इस ऑपरेशन की चर्चा पूरे बिहार के वेटनरी डॉक्टरों में है। डॉक्टर राजेश ने बताया कि इस फ्रैक्चर में अपर जॉइंट और लोअर जॉइंट दोनों को इमोबिलाइज करना पड़ता है। इस सर्जरी में सबसे पहले बोन को रिड्यूज करके उसके शेप में लाया जाता है, फिर एक्सटर्नल फिक्सेटर से उसको फिक्स किया जाता है।
यह प्रयोग इंसानों में होता है। पहली बार जानवरों पर इसका प्रयोग किया गया है। डॉ राजेश ने बताया कि इस टनल फिक्सेटेड में 8 पिन होते हैं, जिसमें 4 पिन अपर जॉइंट में और 4 पिन लोअर जॉइंट में बोन से अटैच कर लगाए जाते हैं। ताकि यह बोन के फ्रैक्चर को हिलने डुलने ना दे और जानवर पूरी तरह लोड लेकर तत्काल खड़ा हाे और चल सके। बस अब कुछ दिनों तक पशु के घाव की ड्रेसिंग होगी, लेकिन पता ही नहीें चलेगा कि गाय का पैर फ्रैक्चर हुआ था।
सफल हुई सर्जरी अब होगा नया प्रयोग
वेटनरी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर जीडी सिंह ने कहा कि यह सर्जरी अपने आप में दुर्लभ है, क्योंकि गाय के पेट में बच्चा था। ऐसे में सर्जरी के लिए गाय को जनरल एनएसथीसिया नहीं दिया जा सकता था, इससे बच्चे की जान को खतरा था। ऐसे में पशु के रेडियल नर्व को ब्लॉक किया गया और इसके बाद इंट्रावेनस रीजनल एनसथीसिया दिया गया जो प्रेगनेंसी के स्थिति में पशु के लिए सेफ है। इसके बाद सर्जरी की पूरी प्रक्रिया की गई। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद अब इसका प्रयोग अन्य पशुओं पर किया जाएगा।
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