काेराेना की वजह से 3 साल की बच्ची के फेफड़े 75 फीसदी खराब हो गए थे। वह 41 दिन तक वेंटिलेटर पर रही। अब पूरी तरह स्वस्थ है। पटना की रहने वाली इस बच्ची के माता-पिता भी कोरोना संक्रमित हो गए थे। उसके बाद वह भी संक्रमित हाे गई। काेराेना से ठीक हाेने के बाद उसे सांस लेने में दिक्कत हाे रही थी।
परिजनों ने उसे पटना एम्स में भर्ती कराया। जांच से पता चला कि कोरोना से ठीक होने के बाद बच्ची मल्टी इनफ्लेमेंट्री सिस्टम सिंड्रोम (एमआईएससी) से पीड़ित हैं। इस बीमारी की चपेट में आने पर बच्चों के एक से अधिक अंग फेल हाेने की आशंका रहती है।
भर्ती होते ही उसे हाई लेवल वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखना पड़ा। 34 दिन तक इनवेसिव वेंटिलेटर पर रखा गया। इसके बाद सात दिन तक नाॅन इनवेसिव वेंटिलेटर रखना पड़ा। 41वें दिन बच्ची होश में आई तो वेंटिलेटर से हटाया गया। वेंटिलेटर से हटते ही खेलने लगी। परिजन को पहचान गई। यह सब देख चिकित्सक भी हतप्रभ थे।
किसी अंग काे नहीं पहुंचा नुकसान
पटना एम्स के शिशु रोग विभाग के हेड डॉ. लोकेश तिवारी के मुताबिक मल्टी इनफ्लेमेट्री सिस्टम सिंड्रोम से पीड़ित जो बच्चे 7 से 10 दिन तक वेंटिलेटर पर रहते हैं, उनका ब्रेन और अन्य अंग फेल होने की आशंका रहती थी। लेकिन यह बच्ची 41 दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रही। उसके किसी अंग को नुकसान नहीं पहुंचा। बच्ची को इसी सप्ताह अस्पताल से छुट्टी मिली है। डॉ. तिवारी ने कहा कि इस बीमारी से पीड़ित होने पर अभिभावक परेशान हो जाते हैं। लेकिन, सही इलाज और माॅनिटरिंग होने पर ठीक हाेना संभव है। यह बच्ची इसका जीता-जागता उदाहरण है।
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