सोमवार को कद्दू- भात के आयोजन के बाद मंगलवार को खरना का आयोजन हुआ। खरना का प्रसाद रात के समय ग्रहण करने के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है। इसलिए इसे शुद्धीकरण कहा जाता है। खरना का मतलब है शुद्धीकरण। बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को गुरुवार को उदयागामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर भी खरना का प्रसाद खाने कई मंत्री और सांसद पहुंचे। मुख्यमंत्री की बहन और भाभी छठ करती हैं। इधर, डिप्टी सीएम रेणु देवी भी छठ महापर्व कर रही हैं। वे कटिहार स्थित अपने घर में छठ व्रत कर रही हैं।
खरना का महत्व
खरना में दूध, अरवा चावल और गुड़ से बनी खीर और दोस्ती रोटी (दो रोटियों को अलग-अलग बेल कर फिर साथ में मिलाकर बेला जाता है) का भोग लगाया जाता है। गुड़ वाली खीर को रसिया कहते हैं। शाम के समय व्रती इसी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसे ही खरना कहते हैं। इस दिन बिना अन्न और जल के रहा जाता है। नमक और चीनी का उपयोग बिल्कुल मना होता है। खरना का प्रसाद भी व्रती वितरित करते हैं।
खरना का मतलब
छठ में खरना का अर्थ है शुद्धीकरण। यह शुद्धीकरण सिर्फ तन तक नहीं होकर मन से भी जुड़ा है। इसलिए खरना के दिन केवल रात में भोजन करके छठ के लिए तन और मन को व्रती शुद्ध करते हैं। खरना के बाद व्रती 36 घंटे का व्रत रखते हुए सप्तमी को सुबह अर्घ्य देते हैं।
शांति का ध्यान रखा जाता है
खरना का प्रसाद ग्रहण करते समय पूर्ण शांति जरूरी है। नियम के अनुसार उस समय किसी तरह का शोर नहीं होना चाहिए। व्रती के कान में किसी की आवाज आ जाती है तो वह उसी समय प्रसाद खाना रोक देते हैं। इसलिए व्रती द्वारा प्रसाद ग्रहण करते समय घर के सभी लोगों को बता दिया जाता है कि व्रती प्रसाद खाने जा रहे हैं, शांति से रहें। इसलिए इस समय लोगों को पटाखेबाजी भी नहीं करनी चाहिए। पटाखों पर ऐसे भी बैन है।
छठ व्रती दिलीप कुमार से भास्कर ने बात की
छठ कर रहे उद्योग विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार बताते हैं कि पहले तो मां जैसे-जैसे हमें बताती थीं हम छठ करते थे। उनके बाद सासु मां आती हैं और वह बताती हैं। यह परंपरा का पर्व है। वे कहते हैं कि मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी की आग जलाई जाती है। इस पर पीतल के पात्र में खरना का प्रसाद तैयार करते हैं। दोस्ती रोटी बनाते हैं। छोटा पिट्ठा भी बनता है। दिन भर के उपवास के बाद शाम में भगवान सूर्य और छठी मईया का स्मरण करते हुए सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर के साथ फल ग्रहण करने की परंपरा है। सगे-संबंधी और मित्र को भी प्रसाद देंगे।
सभी इसकी कामना करते हैं कि छठी मईया संबल प्रदान करें और महापर्व अच्छी तरह संपन्न हो जाए। छठ पर्यावरण का पर्व है। खरना का प्रसाद नए चावल और नई ईख की गुड़ से तैयार होता है। चीनी का प्रयोग वर्जित है। इसकी वैज्ञानिकता यह है कि गुड़-गन्ने की खीर और इसके साथ साफ-सुथरे गेहूं के आटे से तैयार दोस्ती रोटी 36 घंटे तक निर्जला रहने के लिए एनर्जी देती है।
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