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नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अकाउंट से 11.73 करोड़ रुपए का फर्जी RTGS का मामला तो पकड़ा गया, लेकिन इसके बाद पटना पुलिस और कोटक महिंद्रा बैंक की इंटरनल जांच में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। बैंक के वाइस प्रेसिडेंट और उनकी टीम की जांच में यह बात सामने आई है कि इससे पहले भी फर्जी तरीके से शातिरों ने RTGS करने की साजिश रची थी, जो फेल हो गई। पकड़े जाने के डर से बैंक पहुंचा शातिर RTGS वाली स्लीप लेकर फरार हो गया था। यह बात 2 जनवरी से कुछ दिनों पहले की है। दूसरा खुलासा इससे भी बड़ा है।
बैंक के इंटरनल जांच में यह बात सामने आई है कि शातिरों ने फर्जी तरीके से तीन बड़े सक्सेसफुल ट्रांजक्शन किए हैं। करीब 28 करोड़ रुपए फर्जी तरीके से दूसरे बैंक के अकाउंट में ट्रांसफर किए जा चुके हैं। बैंक के अधिकारियों ने पटना पुलिस को यह विश्वास दिलाया है कि जिन अकाउंट्स में ये करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए गए, उसे समय रहते फ्रिज करा दिया गया है। NHAI के 27 करोड़ रुपए को किसी तरह से बचा लिया गया है। बाकी के एक करोड़ रुपए का क्या हुआ? इस बारे में कुछ भी बताया नहीं गया है।
खंगाले जा रहे हैं पिछले कई महीने के रिकॉर्ड
फर्जीवाड़े के इस बडे़ खेल के सामने आने के बाद से कोटक महिंद्रा बैंक में तो हड़कंप तो मचा ही है, साथ ही उन बैंकों के अधिकारियों के बीच भी खलबली मची हुई है। जिनके यहां फर्जी कागजातों और अधूरे एड्रेस पर अकाउंट्स खोले गए और उनके रुपए ट्रांसफर किए गए। इसमें एक नाम ICICI बैंक का भी है। क्योंकि 11.73 करोड़ रुपए ICICI बैंक के बोरिंग रोड ब्रांच में BS ENTERPISES के अकाउंट में ट्रांसफर किए जाना था, जो आधे-अधूरे पते पर खोला गया था। पटना पुलिस को कोटक महिंद्र बैंक के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि उनकी टीम NHAI के अकाउंट से हुए पिछले कई महीने के ट्रांजक्शन को खंगाल रही है। अब तक अक्टूबर महीने तक के हर एक ट्रांजक्शन की जांच की जा चुकी है। आशंका जताई जा रही है कि जैसे-जैसे यह जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे इस मामले में कई और नए खुलासे हो सकते हैं। करोड़ों रुपए के फर्जी ट्रांजक्शन के नए मामले सामने आ सकते हैं।
सुमित के बाद अभिषेक राजा पर टिकी निगाहें
बीतते समय के साथ यह मामला बहुत चैलेंजिंग बनता जा रहा है। पटना पुलिस का दावा है कि उनकी टीम की जांच बिलकुल ही सही दिशा में जा रही है। इस पूरे प्रकरण में अब तक सबसे बड़ा किंगपिन कोटक महिंद्रा के बोरिंग रोड ब्रांच के मैनेजर सुमित को माना जा रहा है, जिसे शुक्रवार को ही गांधी मैदान थाना की पुलिस ने अपने कब्जे में लिया था। पूछताछ के दौरान शनिवार को उसकी तबियत बिगड़ गई और इलाज के लिए उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा। हालांकि इस मामले में शक की सुई अब गांधी मैदान ब्रांच के मैनेजर अभिषेक राजा के ऊपर भी घूमने लगी है। इन्होंने ही 11.73 करोड़ रुपए के मामले में गांधी मैदान थाना में एफआईआर दर्ज कराया था और शुभम को पकड़वाया था, पर जिस तरह से जांच आगे बढ़ रही है उंगली अभिषेक राजा की तरफ भी उठ रही है।
थाना पहुंचकर भाई ने लगाए आरोप
पुलिस की कस्टडी में सुमित को लिए जाने के बाद शनिवार को उसके भाई गांधी मैदान थाना पहुंचे। अपने भाई सुमित का बचाव करते हुए कहा कि उसे फंसाया गया है। इसके पीछे अभिषेक राजा का हाथ है। बोरिंग रोड ब्रांच में सुमित का ट्रांसफर महज तीन-चार महीने पहले ही हुआ था। इससे पहले वो गांधी मैदान ब्रांच के मैनेजर थे। वहां करीब 15-16 महीने रहे। सुमित के भाई का आरोप है कि इस खेल में कई बड़े लोग शामिल हैं। खुद को बचाने के लिए उन लोगों ने उनके भाई को फंसा दिया है। गांधी मैदान ब्रांच में एक और सुमित है, जो सर्विस डिलीवरी ऑफिसर है। पुलिस को उससे भी पूछताछ करनी चाहिए थी, लेकिन अब तक उससे पूछताछ नहीं किया गया है।
कौन हैं आरा के रहने वाले चार लोग
भास्कर ने अपनी खबर के जरिए आपको पहले ही बता दिया था कि इस खेल में सिद्धार्थ, सौरभ, अमृत और सागर नाम के चार लोगों का नाम सामने आया है। ये सभी आरा के रहने वाले हैं। पर्दे के पीछे से इनका बड़ा और महत्वपूर्ण रोल है। शुभम गुप्ता को इन लोगों ने ही सुमित का नाम लेकर 2 जनवरी को गांधी मैदान ब्रांच में RTGS भरे हुए फॉर्म के साथ भेजा था। पुलिस इन चारों की कुंडली खंगाल रही है। साथ ही बैंक से उन अकाउंट्स का डिटेल मांगा जिनमें रुपए फर्जी तरीके से ट्रांसफर किए गए हैं। जांच के आधार पर एक बात तय होती जा रही है कि इस खेल में NHAI,बैंक और जिला भू-अर्जन के स्टाफ की मिलीभगत है। बगैर इनके मिलीभगत के इतना स्कैंडल संभव नहीं है।
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