उपेंद्र कुशवाहा ने लिख दी बगावती चिट्ठी:JDU कार्यकर्ताओं से 19 फरवरी को पटना पहुंचने को कहा; ललन सिंह ने दिया जवाब

पटना4 महीने पहले
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उपेंद्र कुशवाहा अब तक अपनी बयानबाजी से जदयू को लगातार कोस रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर आरोप लगा रहे थे। लेकिन, अब उन्होंने एक कदम आगे बढ़ा दिया है। आज जदयू के आम कार्यकर्ताओं के नाम बगावती चिट्ठी लिख दी है।

कुशवाहा ने खुले पत्र में लिखा है कि पार्टी कमजोर हो रही है। अब हमलोग को मजबूती से लगना होगा। कुशवाहा ने इसको लेकर कार्यक्रम भी तय किया है। आनेवाली 19 और 20 फरवरी को सभी पुराने कार्यकर्ता जो अभी के नेतृत्व से नाराज हैं, उन्हें पटना के सिन्हा लाइब्रेरी में बुलाया है। विचार-विमर्श करने को कहा है कि पार्टी कैसे मजबूत होगी।

उपेंद्र कुशवाहा का ट्वीट और उनका लेटर।
उपेंद्र कुशवाहा का ट्वीट और उनका लेटर।

क्या है कुशवाहा के खुले पत्र में...

उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है - प्रिय साथियों, हमारी पार्टी अपने आंतरिक कारणों से रोज और रोज कमजोर होती जा रही है। महागठबंधन बनने के बाद हुए विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आने के समय से ही मैं पार्टी की स्थिति से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगातार अवगत कराते आ रहा हूं। समय-समय पर पार्टी की बैठकों में ही में भी मैंने अपनी बातें रखी है। विगत एक डेढ़ महीने से मैंने हर संभव तरीके से इस ओर कोशिश की है कि अपना अस्तित्व खोती जा रही पार्टी को बचाया जा सके।

मेरी कोशिश आज भी जारी है। लेकिन, तमाम प्रयासों के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से मेरी बातों की न सिर्फ अनदेखी की जा रही है। बल्कि उसकी व्याख्या भी गलत तरीके से की जा रही है। मेरी चिंता और जहां तक मैं समझता हूं आप सभी की चिंता भी इस बात को लेकर है कि अगर जदयू बिखर गया तो उन करोड़ों लोगों का क्या होगा? जिनके अरमान इस दल के साथ जुड़े हुए हैं, जिन्होंने बड़े-बड़े कष्ट सहकर और अपनी कुर्बानी देकर इसके निर्माण में अपना योगदान दिया है।

खासकर राजद की ओर से एक खास डील जदयू और राजद के साथ विलय की चर्चा ने न सिर्फ पार्टी के निष्ठावान नेताओं, कार्यकर्ताओं व आम जनमानस को भी झकझोर कर रख दिया है। ऐसी परिस्थिति में हम सबके समक्ष राजनीतिक शून्यता की स्थिति बनती जा रही है। अब आवश्यकता इस बात की आ गई है कि हम सब मिलकर उस विषय पर विमर्श करें। इसलिए आपसे आग्रह है कि अपने साथियों के साथ 19 फरवरी और 20 फरवरी को 11:00 बजे सिन्हा लाइब्रेरी के पास पहुंचे भाग लें। इसके बाद चर्चा करें।

कुशवाहा की ओर से लिखी गई चिट्ठी।
कुशवाहा की ओर से लिखी गई चिट्ठी।

कुशवाहा के इस खुले खत पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जवाब दिया है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा - 'कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना। जद (यू.) के समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ता साथियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास है। "ना कोई डील है और ना ही विलय की बात" - यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है।'

कुशवाहा की बगावत के मायने समझिए

जदयू में आरसीपी सिंह के बाद संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बगावत के मूड में हैं। लगातार नेतृत्व पर हमलावर हैं। हिस्सेदारी भी मांग रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसके केन्द्र में राज्य की 7-8 फीसदी कुशवाहा वोटों पर दावेदारी है। अगले दो सालों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा, कुशवाहा प्रकरण को चुनावी नजरिये से देखा जाना लाजिमी है। जदयू में वर्ष 2021 की शुरुआत में कुशवाहा ने अपनी पार्टी रालोसपा का विलय जदयू में इस आशा-विश्वास के साथ किया था कि नेतृत्व उन्हें जदयू का उत्तराधिकारी घोषित करेगा।

उन्होंने आरसीपी सिंह के खिलाफ अभियान में भी महती भूमिका निभाई, पर महागठबंधन का उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव को घोषित किए जाने के बाद उपेंद्र नई राजनीतिक ठौर की तलाश में अब फिर जुट गए हैं। नतीजा है कि एक बार फिर कुशवाहा राजनीति खदबदाने लगी है।

राज्य में कुशवाहा, जाति के हिसाब से यादव के बाद सबसे बड़ा जातीय समूह है। दक्षिण बिहार के मगध और शाहाबाद प्रमंडल के जिले जहानाबाद, गया, औरंगाबाद, अरवल, आरा, रोहतास, बक्सर के साथ ही उत्तर बिहार के समस्तीपुर और उसके आस-पास के इलाकों में ही उपेन्द्र कुशवाहा के साथ चलने वाले वर्कर हैं। इस इलाके में उपेन्द्र अपनी बिरादरी का वोट कुछ हद तक अपनी ओर खींचते भी रहे हैं। ऐसे में वो जिसके साथ होंगे इस इलाके में उसे फायदा होगा।

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