बिहार में बाढ़ को लेकर तैयारियां अभी से ही शुरू हो गई है। बिहार सरकार को चिंता इस बात की है कि नेपाल के तरफ से आने वाले पानी को कैसे रोके। बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने चिंता जाहीर करते हुए कहा कि अनप्रेक्टिबल रेन है। क्लाइमेट चेंज की वजह से कभी अप्रैल तो कभी अक्टूबर में भी बारिश हो जाती है। बिहार में क्या बारिश हो रही है उससे अधिक इम्पोर्टेन्ट है। नेपाल में क्या बारिश हो रही है। क्योंकि पानी वहां से आता है। जलसंसाधन विभाग की ओर से जो इम्बैंकमेन्ट है। 3700 किलोमीटर की उसमें कोई दिक्कत नहीं होगी। हमलोग पूरा मॉनिटर कर रहे हैं।
जल संसाधन विभाग है अलर्ट मोड पर
संजय झा ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से भी एक रिव्यु बैठक हुई थी। डिपार्टमेंट के सारे इंजीनियर मौजूद थे। डिपार्टमेंट का जो एसओपी है टाइम बांड काम होने को। हमारा एंटी ईरोजन का काम भी कम्पलीट हो जाएगा। हरेक जोन में मैं खुद जाऊंगा। फ्लड कॉम्पोनेंट्स का मटेरियल भी तैयार कर लिया गया है। डिपार्टमेंट अलर्ट है। इस बार हमलोग न्यू टेक्नोलॉजी को भी यूज करेंगे।
भारत-नेपाल के बिच बनाना है हाईडैम
नेपाल के तरफ से आने वाले पानी को लेकर बिहार के जल संसाधन मंत्री ने बताया कि पहले से ही आप नेपाल के साथ समझौता हो चुका है। यह दोनों तरफ से हस्ताक्षर हो चुके हैं। जो हाइ डैम बनना है। हाइ डैम बनने से नेपाल को भी फायदा है। जो दो तिहाई बाढ से बिहार डूबा रहता है, हाइ डैम बन जाता है तो नेपाल भी सुरक्षित रहेगा और बिहार भी सुरक्षित रहेगा। लेकिन नेपाल में पॉलीटिकल सिनेरियो की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। लेकिन यह इंटरनेशनल मामला है। इसका परमानेंट सॉल्यूशन वही है। कई तरह के काम तो नेपाल में बिहार सरकार जाकर कराती है।
गंगा के सिल्ट को लेकर भारत सरकार कर रही है पहल
वही गंगा के सिल्ट को लेकर संजय झा ने कहा कि गंगा बाढ़ को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी यदि हो रही है तो वह बिहार को हो रही है। बांग्लादेश से समझौता करके सिल्ट को हटाना होगा। हालांकि भारत सरकार इसमें पहल कर रही है। जब तक इसका निदान नहीं होगा तब तक बिहार को बचाने के लिए गंगा को डिसिल्ट करना होगा।
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