जब बिहार में छात्र आंदोलन से CM-मंत्री तक हारे:आंदोलन की धरती से देश की सत्ता तक हिली, जानिए, कब-कब जला प्रदेश

पटना9 महीने पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
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बिहार को आंदोलन की धरती कहा जाता है। इस धरती ने कई बड़े आंदोलन देखे हैं। आंदोलन की बात आते ही बिहार के बड़े आंदोलन जेहन में आ जाते हैं। कई ऐसे बड़े आंदोलन हुए जिसकी आग में राज्य से लेकर देश की सत्ता तक हिल गई। आजाद भारत के पहले छात्र आंदोलन से लेकर जेपी आंदोलन में बिहार का अपना इतिहास रहा है। यह राज्य एक बार फिर छात्र आंदोलन की चपेट में है। सुलग रही आंदोलन की आग सरकार के लिए 'अग्निपथ' बन गई है। आइए जानते हैं बिहार के ऐसे आंदोलन जिसने बनाया इतिहास...

बिहार का ऐसा आंदोलन जिसे नेहरु भी नहीं करा पाए शांत

वर्ष 1955 में बिहार में हुआ छात्र आंदोलन आजाद भारत का पहला प्रोटेस्ट माना जाता है। देश के आजाद होने के बाद 1955 में हुआ छात्रों का आंदोलन मामूली बात पर हुआ था, लेकिन देश के लिए इतिहास बन गया। विवाद राज्य में ट्रांसपोर्ट टिकट काटने के विवाद को लेकर हुआ था।

आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में दीनानाथ नाम के एक छात्र की मौत हुई थी। इसके बाद आंदोलन इतना उग्र हो गया कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को पटना आना पड़ा था। इसके बाद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ और ट्रांसपोर्ट मंत्री महेश सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। आंदोलन का साइड इफेक्ट ऐसा रहा कि मंत्री महेश सिंह चुनाव तक हार गए।

छात्राें के आंदोलन के इफेक्ट से सीएम चुनाव हारे

बिहार के आंदोलन में 1967 का छात्र आंदोलन काफी प्रमुख रहा है। यह आंदोलन भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आग ऐसी थी कि इसने तत्कालीन सीएम केबी सहाय तक को चुनाव में हरा दिया। छात्रों के आंदोलन को महामाया सिन्हा का साथ मिला था और इसका फायदा भी महामाया सिन्हा को मिला। आंदोलन की आग में सत्ता से बाहर हुए के बी सहाय की जगह महामाया सिन्हा की सीएम की गद्दी पर ताजपोशी हुई। छात्रों को जिगर का टुकड़ा बताने वाले महामाया सिन्हा को एक आंदोलन ने बिहार का हीरो बना दिया।

देश का सबसे बड़ा आंदोलन

देश में आंदोलन के इतिहास के पन्नों को पलटे तो सबसे बड़ा आंदोलन बिहार में हुआ। वर्ष 1974 में आपातकाल के विरोध में हुए इस आंदोलन की कमान जेपी यानी जय प्रकाश नारायण ने संभाली और संपूर्ण क्रांति से राजनीति का इतिहास-भूगोल बदल दिया। माना जाता है कि जेपी के कारण ही 1974 में देश में आंदोलन का इतिहास बना था।

आपातकाल के विरोध में छात्रों के आंदोलन में पुलिस का बड़ा अत्याचार हुआ था। छात्रों की बेरहमी से पिटाई के साथ जेल तक ठूंसने की घटना ने पूरे देश में आग लगा दी। आंदोलन की लगाम छात्रों ने जेपी के हाथ में थमा दी। इसके बाद यह आंदोलन संपूर्ण क्रांति में बदल गया। पटना के गांधी मैदान से हुई आंदोलन की शुरुआत ने देश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा इतिहास बना दिया।

मंडल आयोग के विरोध में आंदोलन से जला था बिहार

प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने वर्ष 1990 में मंडल आयोग लाया। यह आयोग भी देश में आंदोलन का बड़ा कारण बना। इस आंदोलन से पूरा बिहार जला। आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा के साथ बिहार सवर्ण छात्रों के आंदोलन की आग से जल गया। जाति के आधार पर आरक्षण को हटाने और आर्थिक आरक्षण की मांग को लेकर बिहार में जमकर बवाल मचा। सड़क से लेकर विधानसभा तक छात्रों ने आक्रामक आंदोलन किए। इस आंदोलन में भी सरकारी संपत्तियों को बड़ा नुकसान पहुंचा।

बिहार ने सिखाया देश को आंदोलन का तरीका

बिहार को आंदोलन की जननी कहा जाता है। बिहार ने ही देश में आंदोलन का ट्रेड बताया है। जब भी बड़े आंदोलन की बात होती है, बिहार चर्चा के केंद्र में होता है। गांधी से लेकर आज के छात्र आंदोलन तक इतिहास बनते हैं। बापू के चंपारण सत्याग्रह की बात करें या फिर जेपी के आंदोलन की, देश में बिहार को आंदोलन के लिए अलग पहचान दी है। अग्निपथ योजना को लेकर बिहार एक बार फिर जल रहा है।

अग्निपथ योजना के विरोध में आंदोलन से पहले बिहार वर्ष 2022 की शुरुआत यानि जनवरी 2022 में जला था। आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा के परिणाम से नाराज छात्रों ने पूरे बिहार में आंदोलन किया। पटना के खान सर के ट्वीट के बाद भड़की आंदोलन की आग पटना से लेकर बिहार के कई जिलों में बड़ी तबाही मचाई। आवागमन के साथ सरकारी संपत्तियों को भी बड़ी क्षति पहुंचाई।

माना जा रहा है कि आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा परिणाम के बाद अग्निपथ योजना में छात्रों का आक्रोश सरकार पर भारी पड़ रहा है। आंदोलन में अभी तक सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ऐसे में अब आंदोलन की आग काफी खतरनाक होती जा रही है। अब तक राज्य के लगभग 17 जिले आंदोलन की आग में जल रहे हैं, जहां रेल मार्ग को प्रभावित करने के साथ सरकारी संपत्ति को आग के हवाले किया गया है।

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