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कोरोना काल में आर्थिक मंदी के बीच पीरो नगर से एक अच्छी खबर है। मकर-संक्रांति में तिलकुट का बड़ा मंडी पीरो बन गया है। यहां बनने वाले विभिन्न स्वाद और गुणवत्ता के तिलकुटों की भोजपुर जिले की काफी मांग बढ़ गयी है। बाहर के जिलों में इसकी आपूर्ति बढ़ गई है। तिलकुट के व्यवसाय में अचानक आए इस उछाल से कारोबार लगभग एक करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
सर्द मौसम, मकर-संक्रांति व परंपरागत इम्यूनिटी पावर के लिए मशहूर तिलकुट बनाने का कारोबार परवान पर है। पीरो अनुमंडल मुख्यालय में इसको बनाने के लिए एक दर्जन दुकानो में मिस्त्री और मजदूर दिन- रात काम कर रहे हैं। पीरो की बनी तिलकुट जिले के विभिन्न इलाको में सहित रोहतास और बक्सर जिले में भी बिक्री की जाती है।
वहां के छोटे दुकानदार यहां से तिलकुट की खरीदारी करते हैं। कारोकार की शुरुआत नवम्बर माह में होती है, 14 जनवरी के बाद समाप्त होने लगती है। इस साल तिलकुट का कारोबार एक करोड़ रुपया से अधिक का हुआ है। फिर भी दुकानदारों के अनुसार लागत की अपेक्षा मुनाफा कम मिला रहा है।
तिलकुट बनाने के साथ इसकी बिक्री के लिए पीरो अनुमंडल मुख्यालय सहित आसपास केअगिआंव बाजार, जितौरा, हसनबाजार में अनगिनत दुकानें खुली हैं। दुकानदारों के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ तिलकुट का बनाने और बिक्री का कारोबार बंद हो जाता है। इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने वाले मजदूर दूसरे जिले से दो से ढ़ाई माह के ठेके पर आते हैं।
कारोबार बंद होने के बाद अपने घर चले जाते हैं। मजदूरी ठेके के अनुसार प्रतिमाह 15 हजार रुपये से 17 हजार रुपए में तय कर लाये जाते हैं। कारीगर प्रतिमाह 24 से 30 हजार रुपये तक लेते है। तिलकुट बनाने में चीनी, गुड़, उजला और काला तिल का उपयोग होता है। अधिकांशतः उजला और भूरा तिल का तिलकुट ही बनता है। मांग के अनुसार काला तिल का तिलकुट भी बनता है।
लागत के मुताबिक कम मुनाफा: व्यवसायी
पीरो अनुमंडल मुख्यालय में तिलकुट बनाने के कार्य और व्यवसाय से जुड़े व्यवसायी दीपू प्रसाद ने बताया कि लागत और मेहनत के अनुसार इस व्यवसाय में अन्य कारोबार के अनुसार मुनाफा नहीं है। फिर भी इस कार्य को ग्राहकों पर पकड़ के लिए करना पड़ता है। तिलकुट के बाद पेठा बनाने, फल बिक्री का कार्य भी करते हैं।
जिससे थोक बिक्री वाले ग्राहक इनसे पूरे साल जुड़े रहते हैं। व्यवसायी संजय प्रसाद, भगेलु सिंह, सोहराई सिंह के अनुसार एक व्यवसाय में घाटा होने पर ग्राहको की जुड़ाव के कारण दूसरे व्यवसाय में मुनाफा मिल जाता है। जिससे घाटा की भरपाई हो जाती है। हमलोग 14 जनवरी के बाद दूसरे व्यवसाय में लग जाते हैं।
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