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वृद्ध मां को छोड़ने वाले बेटे पर प्रशासनिक शख्ती बरतते हुए उसे मां की सेवा करने तथा भरण पोषण के निर्देश दिए गए हैं। मामला रजौली अनुमंडल कोर्ट का है जहां मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा मामला सामने आया है। जहां पुत्र व पुत्रवधू ने अपने बूढ़ी माता को असहाय छोड़ दिया। ऐसे में माता ने इनको सही रास्ते पर लाने के लिए एसडीएम कार्यालय की ओर रुख किया। गोविंदपुर थाना क्षेत्र के सुघड़ी गांव निवासी स्वर्गीय नाथो महतो की पत्नी पेरा देवी बताया कि मेरा एक बेटा व बहू है बिल्कुल उदंड है। मुझे बहुत मारते पीटते रहता है।
तथा बहू खाना पानी बंद कर मुझे हाथ पकड़ कर घर से निकाल दी है। मैं दाने-दाने को तरस रही हूं, दर दर भटकते हुए भीख मांगकर मुझे जीवन गुजर बसर करना पड़ रहा है। मेरा एक पोता इंद्रदेव यादव है, वह भी मारता पीटता है। गांव वाले एवं सरपंच की बात भी नहीं मानते हैं। इन तीनों पर कानूनी कार्रवाई कर भरण पोषण दिलाने हेतू अनुरोध एसडीओ से की थी।जिसके बाद द्वितीय पक्ष से पुत्र व पूत्र वधु ने अपना पक्ष अधिवक्ता के माध्यम से रखा था।
मां की सेवा सत्कार का भरा बॉन्ड
एसडीओ कोर्ट में बेटे ने वकील के माध्यम से कहा कि मैं जिंदगी भर माता का सेवा, सत्कार व भरण पोषण यथाशक्ति करता रहूंगा। बीमार पड़ने पर उनका उचित इलाज भी अपनी शक्ति अनुसार कर आऊंगा।उनके द्वारा यह भी लिखा गया कि मैं अपनी माता को कभी प्रताड़ित नहीं करूंगा।जिसके बाद एसडीओ चंद्रशेखर आजाद के द्वारा माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007/ 2009 के तहत मामला को बारी- बारी से सभी के पक्ष को सुना गया है। सुनने व समझने के बाद। एसडीएम ने अवलोकन करके पाया कि वृद्ध माता वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में आते हैं जो कि अपना जीवन सुचारु रुप से चलाने हेतु पोषण की मांग की है।
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