शेरशाह की मृत्यु के बाद उसका बेटा इस्लाम शाह उर्फ सलीम शाह गद्दी पर बैठा था। अपने 9 साल के शासन काल (साल 1545-1554) में सलीम शाह ने सासाराम स्थित विश्व प्रसिद्ध शेरशाह मकबरे का निर्माण कराया था। खुद सलीम शाह ने शेरशाह मकबरे की तर्ज पर ही विशाल तालाब के बीच अपने भव्य मकबरा का निर्माण सासाराम में शुरू कराया था, परंतु उसके आसामयिक मृत्यु एवं पानीपत के द्वितीय युद्ध के बाद सूर वंश के पतन के कारण निर्माणाधीन मकबरा अधूरा रह गया था।
साढ़े चार सौ साल से अधिक समय से उपेक्षित अधूरा मकबरा खंडहर में बदल गया। यहां झाड़ियां उग आई हैं, लेकिन अब 465 साल बाद इस उपेक्षित पड़े मकबरे के दिन बहुरने वाले हैं। पटना हाईकोर्ट ने एक रिट याचिका के फैसले में इसकी सुरक्षा एवं पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्देश दिए हैं।
बीते 5 अक्टूबर 2021 को पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पर्यटन विभाग को निर्देश दिया है कि सलीम शाह के मकबरे को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए। इस ऐतिहासिक घरोहर की घेराबंदी, रख-रखाव एवं साफ-सफाई सुनिश्चित की जाए। पर्यटकों के लिए यात्री शेड एवं डिलक्स शौचालय का निर्माण किया जाए। कोर्ट ने मनोज कुमार बनाम बिहार सरकार की रिट याचिका पर यह आदेश दिया है।
आदेश के बाद प्रशासन ने शुरू की कार्रवाई
हाईकोर्ट के आदेश के बाद पर्यटन विभाग ने डीएम को पत्र भेजा। वुडको द्वारा सलीम शाह मकबरे का प्रतिवेदन एवं अनुशंसा रिपोर्ट पर्यटन सचिव को भेजा है। कहा गया है कि तालाब की घेराबंदी, सुरक्षा एवं प्रबंधन की दृष्टि से जरूरी है। अगल-बगल के घरों का गंदा पानी तालाब में जाता है। इसे रोकने के लिए यहां नाला निर्माण आवश्यक है। सलीम शाह मकबरे को एक पर्यटन स्थल एवं आगंतुक पार्क के रूप में विकसित किया जा सकता है। जिला प्रशासन के अनुसार आगे पर्यटन विभाग के निर्देश पर मकबरे का जीर्णोद्धार शुरू होगा।
रिपोर्ट: ब्रजेश कुमार
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