कोरोना काल के एक महीने में बाजार में दालों के दाम 10 से 15 रुपए किलो कम हो गए तो खाने के तेल में भी 15 से 20 रुपए किलो कम पड़ गए। इसका सबसे बड़ा कारण सरकार द्वारा दलहन के स्टाक में लिमिट तय करना है। दालों के दाम व खाने के तेल में गिरावट से मध्यम वर्गीय व गरीब परिवार को राहत मिली है, जबकि उपज के दाम कम होने से मंडी में दलहन की आवक भी कम हो गई है। कोविड-19 के चलते पिछले एक दो माह से खाने की वस्तुओं खासकर दलहन व तेल के दाम तेजी से बढ़े। जिसका प्रभाव गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा। जिस तरह से हाल के दिनों में जरुरत चीज के दामो में गिरावट हो रहा है उससे मध्यम वर्गीय परिवार को थोड़ा राहत तो जरुर पड़ा है। लेकिन लगातार दामो के गिरने से व्यवसायी वर्ग चिंतित भी है इस लिए फिलहाल स्टॉक में ज्यादा दलहन व तेल नही मंगाना चाह रहे है। जानिए... बाजारों में दलहनों व तेल के दाम: अरहर दाल-100 रुपए किलो एक माह पहले 120 रुपए था। इसी तरह चना दाल एक माह पहले 95 रुपए किलो था जो अब 85 रुपए किलो,इसी तरह अन्य दाल पर 10 से 15 रुपए कम हुए है। इसी तरह खाने के सरसों तेल भी कम हुए है 2 सौ रुपए किलो मिलने वाला इंजन तेल 190 रुपए किलो तो सलोनी एक किलो 190 के मिलता था वह अभी 175 से 180 रुपए किलो मिल रहा है।
छोटे व्यापारी को उठाना पड़ रहा नुकसान
किराना दुकानदार योगेंद्र कुमार ने बताया कि सरसों तेल पहले 15 किलो के टीना 27 से 28 रुपए में मिलता था जो अभी 2 सौ से 3 सौ रुपए कम हुए है। इसी तरह अरहर व अन्य दालों के कीमतों में भी 2 सौ से 3 सौ रुपए प्रति क्विंटल कम हुआ है। इसी तरह सुधीर कुमार ने बताया दलहनों की आवक कम हो गई है। जिससे छोटे व्यापारियों के पास जो पुराना स्टाक है, वे स्टाक छोटे व्यापारियों को अधिक व बड़े व्यापारियों को कम नुकसान है।
एक महीने में दालों व तेल के गिरे दाम
दलहन के थोक व्यापारी अरबिंद ने बताया एक माह में दलहनों के दामों में 10 से 15 रुपए किलो की गिरावट आई है। कोरोना काल मे अचानक दलों के तेल के दाम बढ़ने से मध्यम वर्गीय व गरीब परिवार के सामने संकट खड़े हो गए थे लेकिन फिलहाल एक माह से मंडियों में दाल व तेल में गिरावट से थोड़ा राहत मिला है। किराना दुकान के एक संचालक ने बताया कि पूर्व में बाहर की मंडियों से ही महंगे दामों पर माल आता था जिसके कारण खुदरा बाजारों में भी महंगे मिल रहा था।
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