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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के द्वारा गुरुवार को डायट परिसर में 12.91 करोड़ की लागत से बने नवनिर्मित भवन का निरीक्षण किया गया। साथ में डीएम धर्मेन्द्र कुमार, सदर एसडीओ मनोज कुमार, डीईओ संजीव कुमार सहित अन्य मौजूद थे। ज्ञात हो कि सत्येन्द्र कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा इस भवन का निर्माण किया गया है।
प्रशिक्षुओं को बेहतर ट्रेनिंग देने के उद्देश्य से बने इस नवनिर्मित भवन में प्रवेश करते हीं अपर मुख्य सचिव भड़क गए। साथ में मौजूद बिहार शिक्षा परियोजना के जेईई की क्लास लगाते हुए कहा कि निर्माण में कहीं गुणवत्ता दिख ही नहीं रही है। दरवाजे में कुंडी तक सही से नहीं लगे हैं। सभी खिड़कियों के शीशे उखड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति होने के बावजूद तुमने रिपोर्ट कैसे बना दी। सचिव ने भवन निर्माण की गुणवत्ता को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अभी किसी भी हाल में इसे हैंडओवर नहीं करना है। मुख्यालय से टीम का गठन कर इसके जांच के लिए भेजा जाएगा। जांच टीम की रिपोर्ट के बाद हीं हैंडओवर से संबंधित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब अभी यह हाल है तो बाद में क्या होगा। ऐसी स्थिति में इसे हैंडओवर ले लेने से जिस उद्देश्य के लिए बड़ी रकम खर्च कर इसका निर्माण करवाया गया है वह कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
डायट कार्यालय की भी होनी थी जांच, जाे नहीं हुई
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्धारित कार्यक्रम में जिला शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान का निरीक्षण भी शामिल था। जिला शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत कर्मी जांच के लिए संचिका को भी तैयार करके रखे थे। लेकिन, सचिव डायट कार्यालय में गए भी नहीं। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी यहीं चाहते थे कि कार्यालय का निरीक्षण नहीं हो। वर्तमान में जिस जर्जर भवन में प्रशिक्षुओं को एजुकेशन की ट्रेनिंग दी जा रही है उसका जायजा भी सचिव द्वारा नहीं लिया गया। डायट के कार्यालय या क्लासरूम में सचिव के जाने पर निश्चित तौर पर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही दिखती। वहां से सर्कि हाउस के लिए सचिव के निकलते हीं अधिकारी व कर्मियों के चेहरे पर से सिकन गायब हो गए।
वर्तमान में जर्जर कमरों में हो रही पढ़ाई, पेयजल एवं शौचालय की सुविधा भी नहीं
वर्तमान में जर्जर कमरों में हीं डीएलएड की ट्रेनिंग प्रशिक्षुओं को दी जा रही है। बरसात के दिनों में पानी टपकने के कारण यहां पर पढ़ना भी मुश्किल हो जाता है। प्रशिक्षुओं के लिए पीने के लिए शुद्ध पानी तक की व्यवस्था नहीं है। शौचालय का भी घोर अभाव है। शौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को है। प्रसाधन के लिए उन्हें आस-पास के घरों में जाना पड़ता है। इसको लेकर प्रशिक्षुओं द्वारा कई बार विभागीय अधिकारी से शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन स्थिति जस की तस है।
डीईओ कार्यालय में गंदगी देख अधिकारियों की लगाई क्लास
अपर मुख्य सचिव ने डीईओ कार्यालय का भी निरीक्षण किया। अधिकारी तो सिर्फ डीईओ ऑफिस को दिखाकर हीं सचिव को डायट भवन के निरीक्षण के लिए ले जाने के प्रयास में थे लेकिन सचिव के कदम विभाग के जर्जर हुए भवनों की तरफ बढ़ गए। उन कमरों में कागजों का पड़ा अंबार एवं गंदगी को देख सचिव भड़क गए। मौके पर हीं अधिकारी व कर्मियों की क्लास लगाते हुए कहा कि इस तरह से शिक्षा विभाग का ऑफिस रहता है। जब आप लोग खुद स्वच्छता से नहीं रह सकते तो शिक्षकों से स्कूलों को स्वच्छ रखने का निर्देश कैसे दे सकते हैं। सचिव ने शिक्षा विभाग के परिसर में पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था दुरूस्त करने का भी आदेश दिया।
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