दावथ प्रखंड के मलियाबाग के प्रकाश मैरेज हाल मे बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आयोजित की गयी, बैठक मे केंद्र द्वारा किसानों पर थोपे गये तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुटता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिलाने के संबंध मे चर्चा की गयी। बैठक मे पूर्व एमएलसी कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि किसान व कृषि मजदूरों को खेती किसानी बचाने हेतु संघर्ष करना होगा। इसके लिए जाति पार्टी को छोड़कर सांथ आना होगा। पूर्व मंत्री अखलाक अहमद ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी सहित कई राज्यों के किसान लगातार दो सौ दिनो से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं, परंतु सरकार सुन नहीं रही है। जबकि बिहार के किसान जागरूकता के अभाव मे कुछ समझ नहीं पा रहे हैं।
मुख्य अतिथि के रुप मे उपस्थित पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि बिहार में सीमित समय में सीमित मात्रा में पैक्सों से खरीद की व्यवस्था की गयी है। 2006 मे हीं मंडी व्यवस्था समाप्त कर दी गयी है। यहां के किसानों ने कृषि बाजार देखा हीं नहीं है। जिसके कारण वह जागरुकता के अभाव में बिहार मे आंदोलन नहीं हो पा रहा है। जबकि देश में बड़े बड़े आंदोलनों का बिहार अगुआ रहा है। केंद्र सरकार कृषि को कारपोरेट के हाथों देने हेतु तीनों कृषि कानून बनाए हैं। इन कानूनों के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन चलाना होगा।
अन्यथा किसान बर्बाद हो जाएगें। किसानों को अपने उपज का मूल्य निर्धारित करने में भागीदारी होनी चाहिए। मोदी जी ने कहा था कि 2022 मे किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। जबकि किसानों का लागत भी नहीं मिल रहा है। हम किसान लागत का डेढ़ गुना ही मांग रहे हैं। बैठक में दिनेश सिंह, सुधीर शर्मा, पूर्व प्रमुख रघुनाथ सिंह, पैक्स अध्यक्ष अजय सिंह, सत्येंद्र सिंह, मोनू सिंह, भरत सिंह, विंध्याचल सिंह, डब्बु खां, जौक खां, विजेश्वर राय सहित कई ने अपना बिचार रखा। रघुनाथ सिंह को संयोजक व जमालूद्दीन खां सह संयोजक नियुक्त हुए।
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