पूर्णिया पूर्व के दिवानगंज में एम्बुलेंस में पिता का शव लेकर दो घंटे तक सड़क पर दोनों बेटियां बैठी रहीं, लेकिन उनके परिजनों का कलेजा नहीं पसीजा। मानो सभी की संवेदनाएं मर चुकी हों। दादा व चाचा ने कहा-इनसे मेरा कोई रिश्ता नहीं है। दरअसल दोनों बेटियां अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए उनकी लाश लेकर अपने पैतृक घर पहुंची थी। दिवानगंज निवासी नवीन मंडल (52 वर्ष) की शुक्रवार देर रात इलाज के दौरान लाइन बाजार के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। उन्हें सिर्फ दो बेटियां ही हैं। बताया जाता है कि नवीन मंडल ने अपनी मामी से शादी कर ली थी। इसके कारण उनके परिवार वालों ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया था। नवीन मंडल का संपत्ति के कारण परिवार से 15 सालों से विवाद भी चल रहा था। इसकी वजह से ये लोग पंचायत भवन में रह रहे थे। दो साल पहले उनकी पत्नी का भी निधन हो चुका है। पिता की लाश के साथ असहाय बेटियों के हृदयविदारक दृश्य देखकर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। करीब दो घंटे बाद ग्रामीण व प्रशासन की पहल पर आंगन में शव रखा गया और इसके बाद अंतिम संस्कार हुआ। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के दिवानगंज वार्ड संख्या 6 में लाश के साथ भी सौतेलेपन के व्यवहार की घटना से सभी हतप्रभ थे। पिता की बीमारी की वजह से मौत के बाद दो बहन अपने पिता के शव को लेकर शनिवार को अपने घर एम्बुलेंस से पहुंची तो उसके दादा और चाचा ने दरवाजे को ट्रैक्टर से घेरकर घर जाने का रास्ता रोक दिया। लाश का रास्ता रोके जाने की खबर सुनते ही ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी।
बेटियाें ने कहा- हमलोगों को दादा और चाचा ने कभी भी घर में रहने नहीं दिया
मृतक की बेटी सोनी कुमारी व मोनू कुमारी ने बताया कि हमलोगों को दादा व चाचा कभी भी घर में रहने नहीं दिया। अब पिता की मौत के बाद उनकी लाश लेकर कहां जाते। शव को लेकर जब दादा के घर पहुंचे तो मेरे चाचा व दादा दरवाजे पर ट्रैक्टर लगाकर रास्ता रोक दिया और घर घुसने से मना कर दिया। इसके कारण घंटों शव को एम्बुलेंस में लेकर दरवाजे के बाहर सड़क पर खड़े हैं। इस घटना की जानकारी मेरे द्वारा स्थानीय प्रशासन, पुलिस अधीक्षक व जिला पदाधिकारी को भी फोन पर दी गई है। सभी ने उचित न्याय दिलाने की बात कही है। हम दोनों बहन अब पिता की मृत्यु के बाद पूरी तरह बेसहारा हो चुके हैं। ऐसे में मेरे दादा और चाचा हमलोगों के साथ कोई रहम नहीं कर रहे हैं।
मृतक के भाई व पिता को बुलाया गया थाने
घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची मुफस्सिल पुलिस ने मृतक के पिता व भाई को थाना बुलवाया। मुखिया व सरपंच ने बताया कि शव को आंगन में रखवा दिया गया है। इसके बाद दाह संस्कार किया गया। थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने बताया कि मामला सामाजिक है। आपसी सौहार्द नहीं बिगड़े इसके लिए पिता व भाई को थाना बुला लिया है। शव को दाह-संस्कार के लिए भेज दिया गया है। वहीं मौके पर डिमिया छतरजान पंचायत के मुखिया अंगद मंडल, सरपंच शोभेलाल यादव, पैक्स अध्यक्ष यशवंत यादव व वार्ड सदस्य प्रहलाद सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। सभी मृतक के पिता व भाई को समझाने के प्रयास में जुट गए। लेकिन मृतक के पिता व भाई अपनी बातों पर अडिग थे। वे किसी के बातों को सुनने व समझने के लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में मौके पर मौजूद ग्रामीणों में भी आक्रोश पनपने लगा। ग्रामीणों ने कहा कि क्या लाश के साथ भी सौतेला व्यवहार किया जाता है।
15 साल से पंचायत भवन में परिवार के साथ रह रहे थे नवीन, 30 साल पहले मामी से की थी शादी
नवीन मंडल अपने पिता और परिजनों से दूर रहते थे। ग्रामीणों ने बताया कि 30 साल पहले वह अपनी मामी से शादी कर ली थाी। इसको लेकर उसके परिवार के लोग उसे नहीं चाहते थे। इसके कारण शादी के बाद वह 10 वर्ष दिल्ली में ही रहा। दिल्ली से आने बाद तत्कालीन मुखिया किरण देवी ने उसकी स्थिति देखते हुए उसे पंचायत भवन में रहने का आश्रय दिया। वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पंचायत भवन में ही रहते थे। इस बीच दो साल पहले उनकी पत्नी चल बसी। इसके बाद वे अपने पिता से घर बनाने के लिए दो कट्टा जमीन देने की गुहार लगाई। जमीन नहीं देने पर सम्पत्ति को लेकर उसने अपने पिता के विरूद्ध न्यायालय में मुकदमा भी दायर किया। उसी दौरान वे बीमार पड़ गये,जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
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