रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश होने में अब मात्र एक दिन शेष रह गए हैं यानी 25 मई की दोपहर में यह प्रवेश कर जाएगा। रोहिणी नक्षत्र मुख्य रूप से धान का बिचड़ा गिराने का समय माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र प्रवेश के पूर्व प्रखंड में अब तक पर्याप्त बारिश होने से खेतों से नमी है। इसके कारण बिचड़ा गिराने के लिए खेत की जोताई तक नहीं होने से किसान परेशान हैं। 25 मई से 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र का समय है। इस दौरान 140 से 160 दिन तक के प्रभेद का बीज खेतों में गिराया जा सकता है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी रवींद्र कुमार की माने तो जलजमाव वाली जमीन के लिए लंबी अवधि के प्रभेद को ही अनुशंसित किया गया है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण कभी पहले तो कभी बाद में भारी बारिश होती है। इसके कारण फसल चक्र पूरा नहीं होता है। आम तौर पर रोहिणी नक्षत्र में ही किसान लंबी अवधि वाले धान के बिचड़े खेतों में डालते हैं। लेकिन जब खेतों की जोताई ही नहीं हुई तो फिर बिचड़ा डालने का प्रश्न ही कहां है। फिलहाल बारिश के लक्षण भी नजर आ रहे हैं। ऐसे में किसानों को बिचड़ा गिराना शुरू कर देना चाहिए।
बुआई के समय खेत में 1 इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए पानी
बुआई के समय एक इंच से ज्यादा नहीं रहना चाहिए खेत मे पानी बीजों की बुवाई से पहले 15 से 18 घंटे के लिए ताजा पानी में डाल देना चाहिए। इसके बाद पानी से बीजों को निकाल कर नमी वाले सतह पर फैलाने के बाद गिले जूट की बोरी से ढक देना चाहिए। 20 से 24 घंटे के बीच बीजों में अंकुरण होने लगता है। इसके बाद ही बुआई करें। बुआई के समय खेत में 1 इंच से ज्यादा पानी नहीं होना चाहिए।
कम अवधि की प्रजाति
सहभागी सबौर दीप, हर्षित, अभिषेक, सीओ 51, स्वर्ण श्रेया, राजेन्द्र भगवती, राजेन्द्र कस्तूरी व प्रभात मध्यम अवधि के प्रजाति डीआरआर 42, 44, संभा सब -1, एमटीयू1001, बीपीटी 5204, राजेंद्र श्वेता, सबौर अर्धजल आदि।
लंबी अवधि के प्रभेद
लंबी अवधि के प्रजातियों में एमटीयू 7029, राजेंद्र मंसूरी 1 व 2, स्वर्णा सब 1 व - राजश्री शामिल है।
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