लापरवाही:इंश्योरेंस फेल सरकारी वाहनों पर चल रहे बड़े अफसर, हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?

मनोज ठाकुर | सहरसा11 दिन पहले
  • कॉपी लिंक
  • भास्कर एक्सक्लूसिव , कमिश्नर, डीएम, एसपी, डीडीसी, सीएस, डीएओ के वाहनों के इंश्योरेंस फेल, सवाल यह कि आम लोगों को जुर्माना क्यों?
  • प्रभारी डीटीओ बोले कैसे पता चला कि इंश्योरेंस फेल है
  • परिवहन विभाग नहीं करता सरकारी वाहनों पर कोई कार्रवाई, निजी वाहनों से वसूला जाता है भारी जुर्माना

कोसी प्रमंडल के आयुक्त के सरकारी वाहन का इंश्योरेंस फेल है। सिर्फ प्रमंडलीय आयुक्त के ही सरकारी गाड़ी का इंश्योरेंस फेल नहीं है बल्कि जिले के डीएम, एसपी, उप विकास आयुक्त सहित लगभग आधे दर्जन पदाधिकारियों के सरकारी वाहनों के इंश्योरेंस कई बर्षों से फेल हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि अगर सरकारी वाहनों से हादसा हो जाए और सड़क पर किसी की जान चली जाए तो उसे कौन और कितना मुआवजा कहां से देगा। सभी सरकारी वाहनों की खरीदारी राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से होती है, लेकिन आलाधिकारी जिस वाहन पर चलेंगे, उसका इंश्योरेंस अगर फेल रहे तो यह किसकी जिम्मेदारी है कि इसे अपडेट रखा जाए। ऐसी परिस्थिति में किस जिम्मेदार पर कौन कार्रवाई करेगा? जिले के लगभग सभी वरीय पदाधिकारियों के सरकारी वाहनों, जिनका वे उपयोग करते हैं। उसकी संबंधित पोर्टल पर पड़ताल की गई तो चौंकाने वाला मामला सामने आया। इनमें से कुछ सरकारी वाहन का इंश्योरेंस तो बीते 10 सालों से फेल चल रहा है। तो कुछ सरकारी वाहन का बीते दो-तीन सालों से इंश्योरेंस फेल चल रहा है। एक-दो वरीय पदाधिकारी की बात छोड़ दें तो जिले के लगभग सभी वरीय पदाधिकारियों के सरकारी गाड़ी प्राइवेट नंबर से ही संचालित हो रहा है।

डीएओ की गाड़ी का इंश्योरेंस 2011 से फेल
जिला कृषि पदाधिकारी के सरकारी वाहन का इंश्योरेंस 29 अप्रैल 2011 से फेल चल रहा है। सिविल सर्जन के सरकारी वाहन का इंश्योरेंस वर्ष 2015 से फेल है। सहरसा एसपी के भी सरकारी वाहन का इंश्योरेंस 22 फरवरी 2018 से ही फेल बताया जा रहा है। सहरसा के जिला पदाधिकारी जिस सरकारी वाहन पर सवारी करते हैं उसका भी इंश्योरेंस बीते दो सालों से फेल दिख रहा है।

परिवहन विभाग पोर्टल पर सभी सरकारी वाहनों के डाली गई है डिटेल
प्रभारी जिला परिवहन पदाधिकारी अहमद अंसारी ने बताया कि कैसे पता चला कि सरकारी वाहनों का इंश्योरेंस फेल है। फिर उन्हें जब बताया गया कि उन्हीं के पोर्टल पर सभी गाड़ियों की जन्म कुंडली डाली गई है। इसमें वरीय पदाधिकारियों के सरकारी गाड़ी का इंश्योरेंस फेल दिख रहा है। उन्होंने बताया कि इंश्योरेंस की जांच करवाई जाएगी।

लोगों ने कहा : आम लोगों की तरह अफसरों की गाड़ियों की भी होनी चाहिए जांच
इंश्योरेंस फेल और प्रदूषण फेल निजी वाहनों को सड़क पर चलने के दौरान जिला परिवहन पदाधिकारी या एमवीआई द्वारा पकड़े जाने पर भारी जुर्माना वसूला जाता है। जांच के क्रम में एमवीआई के आगे से निकलने वाले सरकारी वाहन पर नजर तक नहीं दिया जाता है। ऐसे में जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा आम और खास में भेदभाव किए जाने को लेकर कई तरह के सवाल लोग उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले सरकारी वाहन को ही सरकारी नियम पर चलना चाहिए। उन्हें परिवहन विभाग के हर दिशा निर्देश का पालन करना चाहिए। जिसकी देखा देखी निजी वाहन चालक भी कागजात दुरुस्त रखेंगे।

खबरें और भी हैं...