15 जून से कोसी में बाढ़ की अवधि शुरू होने वाली है। कोसी नदी की धारा इस बार किस करवट लेगी अभी इसका पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं। लेकिन बाढ़ अवधि 15 जून से 15 अक्टूबर के दौरान यानी कि अगले चार महीने तक कोसी प्रमंडल के तीन जिलों सहरसा, सुपौल और मधेपुरा की 60 लाख से अधिक आबादी पर खतरे की तलवार लटकती रहेगी। इधर, तटबंध सुरक्षा का काम देख रहे जल संसाधन विभाग के इंजीनियर का दावा है कि किसी भी परिस्थिति से लड़ने के लिए विभाग के इंजीनियर पूरे बचाव सामग्री और सभी संसाधनों के साथ तैयार बैठे हैं। तटबंध पूरी तरह से मजबूती के साथ सुरक्षित है। स्थानीय लोगों की मानें तो वीरपुर स्थित कोसी बराज से कोपरिया तक 125 किमी. लंबे पूर्वी तटबंध के तीन स्थल ऐसे हैं जहां बाढ़ अवधि के दौरान कोसी कभी भी खतरे की घंटी बजा सकती है। ये बिन्दु 80.05 पुराना देवन वन मंदिर स्थल से लेकर 80.60 कि.मी. फेकराही के पास अवस्थित है। हालांकि इंजीनियर ऐसे किसी भी खतरे की संभावना से भी इंकार कर रहे हैं जबकि हकीकत है कि इन तीन स्थानों पर आज भी कोसी नदी की धारा तटबंध के करीब से बह रही है। गुरूवार और शुक्रवार को पूर्वी कोसी तटबंध का जायजा लेने भास्कर टीम पहुंची। नदी में किसी तरह की हलचल नहीं दिखी। कहीं किसी स्पर और बिन्दुओं पर दबाब नहीं दिखा। लेकिन मई महीने में अक्सर शांत व स्थिर रहने वाली कोसी में जुलाई से हलचल शुरू हो जाती है।
सभी 17 स्परों को किया गया मजबूत
पूर्वी तटबंध के 78 कि.मी. बिन्दु से 84 कि.मी. तक 17 स्परों को भी पूरी तरह से मजबूत कर लिया गया है। मरम्मत का काम मंगलौर (कर्नाटक ) की कंपनी योजका इंडिया प्रा. लि. द्वारा 116.47 लाख की लागत से चार साल में पूरा किया गया है। इस बीच पूर्वी कोसी तटबंध के बचे हिस्सों का कालीकरण कर देने से तटबंध में मजबूती आ गयी है। हालांकि कालीकरण काफी निम्म स्तरीय दिखाई पड़ी।
लाल पानी उतरते ही बढ़ने लगता है जलस्तर
कोसी के जलस्तर में 15 जून के बाद ही बढ़ोतरी होने लगती है। जुलाई महीने तक धारा कहां किस तरफ मुड़ेगी यह उस समय की परिस्थितियां खास कर नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में होने वाली बारिश पर निर्भर करगी। स्थानीय लोगों ने कहा कि उंचाई बढ़ाने और पक्कीकरण के बाद पहले से स्थिति काफी सुधरी है। हालांकि कोसी में भीमनगर बराज से आने वाले डिस्चार्ज पर ही निर्भर करेगा। बीते 15 सालों में नदी का डिस्चार्ज कभी भी 5 लाख क्यूसेक को पार नहीं किया है। ऐसे में विभाग के इंजीनियर इस बात से निश्चिंत हैं कि तटबंध को कहीं से भी किसी तरह का खतरा नहीं है। कई स्थानों पर कोसी की धारा तटबंध से दूर चली गयी है। सिल्ट के कारण नदी पश्चिम की तरफ शिफ्ट कर गई है।
सहरसा में 53 किमी के दायरे में जलस्तर बढ़ने पर इन तीन बिंदुओं पर हो सकता है खतरा
सहरसा जिला की सीमा में पड़ने वाले करीब 53 किमी पूर्वी तटबंध के दायरे में तीन ऐसे बिन्दु हैं जहां बाढ़ की अवधि के दौरान भयावहता बढ़ सकती है। भास्कर टीम को स्थानीय लोगों ने बताया कि दो साल पहले कोसी जहां तांडव मचा रही थी अब उससे काफी दूर हो गयी है। लेकिन 79.55 किमी से 80.05 किमी. बिन्दु शाहपुर राय टोला, 80.05 किमी मझौल गांव के समीप पुराना देवन मंदिर, 80.65 किमी बिन्दु प्रसन्ना फेकराही गांव के समीप पूर्वी तटबंध से सट कर आज भी कोसी की धारा बह रही है। लेकिन पिक मानसून के सीजन अर्थात जुलाई-अगस्त और सितम्बर में कोसी नदी का डिस्चार्ज क्या रहेगा इस पर ही सुरक्षा निर्भर रहेगा। नवहट्टा स्थित पूर्वी तटबंध के 78.30 किमी बिन्दु पहाड़पुर से अब कोसी नदी दूर चली गयी है। 2017 से कोसी यहां तांडव मचा रही थी। विभाग के इंजीनियरों द्वारा इस स्थल को बचाने के लिए बीते 4 बर्षों में कई करोड़ राशि बांध और स्पर सुरक्षा पर खर्च की गयी। लेकिन कोसी की धारा 2021 में ही यहां से दो किमी उतर कैदली के आसपास मुड़ गयी है।
पूर्वी कोसी तटबंध पर जगह-जगह लगाया गया परकोपाईन
पूर्वी कोसी तटबंध के विभिन्न स्परों पर 1300 मीटर की लंबाई में 1.35 करोड़ की लागत से परकोपाइन लगाकर एंटीरोजन का कार्य पूरा कर लिया गया है। पूर्वी कोसी तटबंध के 78.30 रिटायर बांध के मुहाने, 78.65, 79. 55, 80.05, 82.90, 83.40 किमी स्पर के अप स्ट्रीम में परकोपाइन लगाकर स्पर को सुरक्षित कर बाढ़ पूर्व तैयारी पूरी कर ली है। हाई लेवल कमेटी के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने तटबंध के 72 किलोमीटर से 84 किमी के बीच एंटी रोजन कार्य करने के निर्देश दिए थे।
जब कोई समस्या आएगी निपट लेंगे
दूरभाष पर बातचीत में जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि जब जैसी परिस्थिति आएगी विभाग उससे निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम और तैयार भी है। हमलोग अनुमान या अंदेशा पर काम नहीं करते जब कोई समस्या आएगी उसे सुलझा लेंगे। तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है।
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