डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पुसा एवं इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी नई दिल्ली के सहयोग से विवि के पंचतंत्र भवन में जलवायु परिवर्तन और पौधों की बीमारियों के विषय पर (हाइब्रिड मोड) में चल रहा राष्ट्रीय स्तर का दो दिवसीय संगोष्ठी संपन्न हो गया। इस संगोष्ठी में ऑनलाइन जुड़े देश के 17 राज्यों के सैकड़ो पादप रोग वैज्ञानिकों ने इस दो दिनों के दौरान अपने-अपने क्षेत्र से जुड़ी फसलों में लगने वाली बीमारियां एवं कृषि की अन्य समस्याओं पर आपस में गंभीरता से चर्चा की।
संगोष्ठी में विभिन्न तकनीकी सत्रों के अध्यक्ष क्रमशः डॉ. एके मिश्रा लखनऊ, बीएन चक्रवर्ती नई दिल्ली, डॉ.एचबी सिंह लखनऊ, डॉ. दिनेश सिंह नई दिल्ली,डॉ. पॉपी बोरा आसाम आदि ने अपने-अपने सत्रों की रिपोर्ट व संस्तुति को सभी वैज्ञानिकों के समक्ष प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में पहुँचे विवि के कुलपति डॉ. पीएस पांडे ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर पेड़-पौधों, फसलों व पर्यावरण के अलावे मानव स्वास्थ्य पर भी व्यापक रूप से पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन मृदा और मृदा-जल सभी के संतुलन को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय पर दुनिया के सभी कृषि वैज्ञानिकों को एकजुट होकर कार्य व अनुसंधान करने की जरूरत हैं। उन्होंने इस संगोष्ठी के सफल आयोजन को डॉ. एसके सिंह के द्वारा विगत दो महीने के दौरान की गई कड़ी मेहनत का प्रतिफल बताया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों पर कीट व्याधियों का प्रकोप भी इन दिनों काफी बढ़ गया है, ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे अधिक से अधिक जैविक विधि से ही इन कीट व्याधियों का निदान करवाएं। बाद में कुलपति ने विभिन्न सत्रों के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट व मोमेंटो देकर सम्मानित भी किया। समापन समारोह को निदेशक अनुसंधान एवं इस कार्यक्रम के कन्वेनर डॉ. पीएस ब्रह्मानंद, डॉ. केएम. सिंह डीन पीजीसीए आदि ने भी संबोधित किया।
इन दोनों वैज्ञानिकों ने संगोष्ठी के भव्य आयोजन और इसकी सफलता के पीछे जी तोर मेहनत करने वाले संगोष्ठी के आयोजन सचिव सह इंडियन फाइटोपैथालॉजी सोसाईटी के ईस्टर्न जोन के अध्यक्ष डॉ. एसके सिंह की भूरी भूरी प्रसंशा की। धन्यवादज्ञापन डॉ. एसके सिंह ने किया। मौके पर डीडीएम नाबार्ड समस्तीपुर के अलावे डॉ.एमएन झा, कुलसचिव डॉ. मृत्यंजय कुमार, डॉ. राकेशमणि शर्मा, डॉ. फूलचंद्र, सूचना पदाधिकारी डॉ. कुमार राजवर्धन आदि मौजूद थे।
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