सलाह:आम के पत्तों और टिकोले पर थ्रिप्स कीट का वैज्ञानिक तकनीक से करें प्रबंधन

पूसा9 दिन पहले
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संक्रमित आम की नई पत्तियां। - Dainik Bhaskar
संक्रमित आम की नई पत्तियां।

मार्च व अप्रैल के महीने में आम में निकलने वाले नए पत्तों और टिकोले पर थ्रिप्स कीट (स्किरटोथ्रिप्स डौरसैलिस) का आक्रमण काफी अधिक होता हैं। बिहार के किसान मौजूदा समय में अपने अपने आम के बागों की निगरानी करते रहे तथा इस कीट का प्रकोप बागों में दिखाई देते ही इसका वैज्ञानिक विधि से तत्काल प्रबंधन करें। ये जानकारी डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के सह निदेशक अनुसंधान एवं अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. एस.के. सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि ऐसे तो थ्रिप्स कीट की लगभग 20 प्रजातिया आम की फसल को क्षति पहुंचाती है।

लेकिन इन कीटों में से खासकर सिरटोथ्रिप्स डौरसैलिस कीट उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में काफी अधिक मात्रा में आम के बागों में देखने को मिल रहा हैं। इस कीट का प्रकोप मार्च-अप्रैल माह में आरंभ होता है तथा जुलाई में नई पत्तियों के निकलने तक जारी रहता है। इसके प्रकोप से आम के फल को काफी क्षति पहुंचती है। फल के अलावे आम की पत्तियां, नई कलियां और फूल को भी यह कीट प्रभावित करता हैं। उन्होंने बताया कि यह कीट आम की पत्तियां, फूल, फल, कलियां आदि के सतहों को खरोंचकर उस जगह से रस को चूसता हैं।

रस चूस लिए जाने के कारण आम के छोटे फल जहां झड़कर गिर जाते हैं। वही बड़े फलों पर भूरा खुरदरा धब्बा बन जाता है। बाद में जैसे-जैसे फल परिपक्व होते हैं फल के प्रभावित भाग में छोटी-छोटी दरारें दिखाई देने लगती हैं। उन्होंने बताया कि आम की पत्तियों का मुड़ना और बौर का सूखना भी इसी कीट के प्रकोप का हिस्सा हैं। नई पत्तियों पर इस कीट का प्रकोप अधिक और पहले दिखने लगता हैं।

इस कीट का प्रकोप दिखाई देने पर ये उपाय करें किसान
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इस कीट का प्रकोप प्रत्येक वर्ष आम के बागों में न हो इसके लिए किसान प्रत्येक वर्ष के नवम्बर और दिसम्बर माह में बाग की गहरी जुताई करें जिससे इस कीट का प्यूपा जमीन से बाहर निकल जाएगा और तेज धूप व गर्मी में सूखकर मर जाएगा। इसके अलावे इसके प्यूपा को अन्य कीट व पक्षी भी खाकर समाप्त कर देते हैं। उन्होंने बताया कि किसानो को अगर बागों में इस कीट का प्रकोप दिखाई दे तो वे आवश्यकतानुसार स्पाइनोसैड दवाई 44.2 एस.सी का 1 एमएल मात्रा प्रति 5 लीटर पानी के साथ घोलकर तथा उसमें स्टीकर मिलाकर बागों मार्च व अप्रैल माह में छिड़काव करें।

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