सीवान के जीरादेई में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निवास स्थान पर शनिवार को उनकी 138वीं जयंती बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई गई। इस दौरान बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, सीवान डीएम अमित कुमार पांडेय, विधायक सहित तमाम लोग राजेंद्र प्रसाद के गांव जीरादेई जाकर उनके आवास पर उनकी प्रतिमा पर किया माल्यार्पण किया। माल्यार्पण के उपरांत बिहार विधानसभा अध्यक्ष और बिहारी चौधरी ने बताया की उसी वक्त केंद्र में चंद्रशेखर बाबू की सरकार के समय से ही राजेंद्र प्रसाद के जन्मस्थली को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मिल गया था, लेकिन घोषणा के बाद वह लेटर कहां गुम हो गया किसी को जानकारी नहीं है। आज तक केंद्र सरकार के द्वारा कोई काम नहीं कराया गया, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
राजेंद्र प्रसाद से हमारी पहचान
अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि मैं अभी स्पीकर हूं और आज के समय में एक संवैधानिक पद पर बैठाया गया हूं, लेकिन आज भी मेरे मन में उनके प्रति उतना ही स्नेह और आदर है। राजेंद्र प्रसाद की इस भूमि से हम लोग देश दुनिया में पहचाने जाते हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले स्पीकर बनने के बाद जीरादेई राजेंद्र प्रसाद का गांव आया था, जिसके बाद यहां के लोगों ने राजेंद्र बाबू के जन्माष्टमी को राष्ट्रीय स्मारक का चर्चा उनके साथ की थी।
चंद्रशेखर बाबू ने 1985 में दिया था हलधर छाप
स्पीकर और बिहारी चौधरी ने कहा कि साल 1985 में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर बाबू ने चुनाव लड़ने के लिए साल 1985 में हलधर छाप चुनावी निशानी दिया था। और उसी से हमने जीतकर बिहार विधानसभा में अपना कदम रखा था। उन्होंने बताया कि देश को आगे बढ़ाने में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अहम भूमिका रही। उन्होंने डॉ. प्रसाद को याद करते हुए कहा की देश को स्वाधीन कराने के लिए संघर्ष करने के साथ-साथ उन्होंने भारत की संवैधानिक परंपराओं के निर्माण में भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा।
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