मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खालिसपुर मस्जिद में बीती रात बदमाशों ने मौलवी की गर्दन रेतकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान खालीसपुर निवासी 85 वर्षीय सफी अहमद के रूप में हुई है। मस्जिद में हत्या की इस घटना के बाद से गांव में दहशत है। इस मामले में पुलिस का कहना है कि शक की सूई पट्टीदारों पर जाती है। मुफस्सिल थाना प्रभारी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि तहरीर के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। पट्टीदारों से उनका विवाद चल रहा था।
घटना की जानकारी लोगों को शुक्रवार की सुबह उस समय हुई जब मस्जिद में जुमे की नमाज के लिए मस्जिद को साफ करने सफाईकर्मी पहुंचा। मौलवी का शव देख उसने शोर मचाया, तब आसपास लोग एकत्रित हुए। पुलिस ने शव काे कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।
22 मई को थी पोते की शादी, तब से ही भाई ने खाली कराया था घर
उनके पुत्र असफाक अहमद उर्फ़ मुन्ना ने बताया कि गांव में पुस्तैनी घर है। यह जमीन 32 धुर है। 22 मई को बड़े पिता के पोते की शादी थी। मेहमानों को घर में रखने के बहाने उन्होंने बोलकर घर को खाली करा दिया। इसके बाद से उसके पिता मस्जिद में ही रात को सोते थे। शुक्रवार की सुबह मस्जिद की सफाई करने पहुंचे सफाईकर्मी कादिर ने घटना की जानकारी दी। उनकी हत्या गला रेतकर की गयी है।
पट्टीदारों के खिलाफ जनता दरबार में जाने की थी तैयारी
कमरे में ताला लगे होने की शिकायत लेकर वह शनिवार थाने में लगनेवाले जनता दरबार में जाने वाले थे। परिवार के लोगों ने बताया कि इसकी सारी तैयारी उन्होंने कर ली थी और सारे कागजात भी इकट्ठे कर लिए थे।
गुरुवार को उन्होंने इसकी सारी जानकारी अपने परिवार के बेटों के साथ शेयर की थी। बताते हैं कि घटना की रात गर्मी अधिक होने के कारण वह नमाज पढ़ने के बाद मस्जिद की छत पर सोने चले गए थे। चर्चा है कि सोची-समझी साजिश के तहत मस्जिद में हत्या की इस घटना को अंजाम अपराधियों द्वारा दिया गया है।
पिता-पुत्र को दी थी जान से मारने की धमकी
सफी अहमद पट्टीदारों के साथ रहते थे। उनके हिस्से में एक कमरा मिला हुआ था। 22 मई को परिवार में शादी थी। इसको लेकर उन्हें दो दिन के लिए कमरा खाली करने को कहा गया था। दो दिन बाद जब उन्होंने कमरे में जाना चाहा तो उसमें ताला बंद लगा देखा। उनके बड़े भाई उमर अहमद ने कहा कि अब यह नहीं खुलेगा।
जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें और उनके बेटे को जान से मारने की धमकी दी गई। इस मामले को लेकर वह पंचायत में भी गए लेकिन वहां से भी कोई बात नहीं बनी। बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने एफआइआर भी दर्ज कराई थी।
पांच माह पहले कोर्ट से मिली थी डिग्री
बताते हैं कि एक ही कमरा होने के कारण बेटा और परिवार उसमें रहता था। शादी के दिन से ही मौलवी मस्जिद में सोते थे। मृतक के पुत्र अशफाक अहमद ने बताया कि उसके पिता को पांच महीने पहले ही कोर्ट से डिग्री मिल चुकी थी कि घर उनका ही रहेगा। मालूम हो कि कोर्ट में विवाद पिछले पांच सालों से चल रहा था।
उनके तीन बेटे व एक बेटी है। सभी का विवाह हो चुका है। बड़ा बेटा अशफाक पिता के साथ ही गांव में रहता था। मंझला बेटा रफी सीवान में रहकर जीवन यापन करता है। छोटा बेटा विदेश में नौकरी करता है। बेटी की भी शादी हो चुकी है।
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