सीवान जिले में स्वास्थ्य विभाग अपनी उल्टी-पुल्टी कारगुजारियों से हमेशा चर्चा में बना रहता है। यहां के अस्पतालकर्मी कभी फर्स पर लिटाकर मरीजों का इलाज करते हैं तो कभी सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी क्लीनिक में दाखिला कराते है। इस बार फिर अस्पताल प्रबंधन मरीजों के बीच निःशुल्क वितरण के लिए आए दवाइयों को एक्सपायरी कर जलाने को लेकर चर्चा में है। मामला जिले के मैरवा प्रखंड मुख्यालय के रेफरल अस्पताल का है।
दरअसल, गांव-गांव में बच्चों को लगाने जाने वाली नियमित टीकाकरण,परिवार नियोजन,ओपीडी, इनडोर की जीवन रक्षक दवाएं और कोरोना जांच करने के लिए रैपिड एंटीजन किट को मैरवा रेफरल अस्पताल में एक्सपायर होने के बाद जला दिया गया। अब अस्पताल परिसर में एक्सपायरी दवा को जलाने के बाद तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर यह दावा था तो जरूरतमंदों के बीच वितरण क्यों नहीं किया गया। मरीजों को अस्पताल में दवा नहीं मिलने से वह हमेशा निजी क्लिनिको में दवा खरीदने को मजबूर है। लोगों का कहना है कि अस्पताल में मरीजों को तो दवा मिलता नहीं है और दवाइयों को रखे रखे एक्सपायरी करा दिया जाता है।
पिछले छह माह से अस्पताल में जीवन रक्षक दवा व आयरन की गोलियां नहीं होने की बात कह कर मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए बोला जा रहा है। जबकि जलाई गई दवाइयों में भारी मात्रा में जीवन रक्षक व आयरन की गोली के साथ ओआरएस व स्लाइन शामिल है। अगर इन दवाओं को एक्सपायर होने से पूर्व अस्पताल के दवा वितरण केंद्र पर उपलब्ध करा दिया जाता, तो कितने मरीजों का भला हो जाता। पर ऐसा नहीं किया गया।
इधर दूसरी ओर मामला तूल पकड़ता देख सिविल सर्जन डा.यदुवंश कुमार शर्मा ने बताया कि इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग करते हुए पिछले एक वर्ष में आपूर्ति की गई दवाइयों के विरूद्ध वितरण व स्टाॅक का डीटेल संबंधित स्पष्टीकरण मांगने की बात कही है। उन्होंने कहा कि दवा एक्सपायर होती है जिसे डिस्पोज और रिटर्न किया जाता है लेकिन यह सभी दवाएं कहां रखी गई थी जरूरतमंदों तक क्यों नहीं पहुंचाई गई।
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