लंबे समय तक पॉल्यूशन का एक्सपोजर महिलाओं में खून की कमी यानि एनिमिया का कारण बन रहा है। वैज्ञानिकों की एक साझी टीम ने लंबे समय तक पॉल्यूशन का एनिमिया पर असर परखने के लिए स्टडी की थी। भारतीय मानकों के अनुसार जितने पॉल्यूशन को सामान्य माना जाता है, उसके एक चौथाई हिस्से का एक्सपोजर अगर लंबे समय तक हो तो महिलाओं में एनीमिया का खतरा 7% से अधिक बढ़ जाता है। देश में 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर स्टैंडर्ड है, जबकि हर 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पार्टिकुलर मैटर (पीएम2.5) के कारण एनिमिया का औसत 7.23% तक बढ़ जाता है।
इस रिसर्च को नेचर सस्टेनेबिल्टी के लेटेस्ट अंक में जगह मिली है। भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा यानी 53% महिलाएं एनिमिया की शिकार हैं, यहां रीप्रोडक्टिव एज वाली महिलाओं में प्रदूषण खून की कमी बढ़ा रहा है। 15 से 49 साल की महिलाओं पर ये रिसर्च आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फियरिक साइंसेज, सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज बेंगलुरू, आईआईटी बाॅम्बे, हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट बॉस्टन, बिजिंग के इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ कॉर्क आयरलैंड के वैज्ञानिकों ने की है।
पॉल्यूशन से रेड ब्लड सेल फॉरमेशन पर प्रभाव, जो एनीमिया पैदा करता है
वैज्ञानिकों का मानना है कि लंबे समय तक पीएम 2.5 के कारण इंसानी शरीर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से इनफ्लेमेशन(एक तरह की सूजन) बढ़ता है। इम्यून एक्टिवेशन से ये इनफ्लेमेशन आरबीसी (रेड ब्लड सेल) और हीमोग्लोबिन लेवल को प्रभावित करता है। पीएम 2.5 के प्रभाव से ऐसी क्लीनिकल स्थितियां पैदा होती हैं जिससे आरबीसी फाॅरमेशन प्रभावित होकर शरीर में आयरन की उपलब्धता को प्रभावित करती हैं। वे राज्य जिनमें पीएम 2.5 का एक्सपोजर कम है, वहां पर एनिमिया की समस्या भी कम है। देश के 186 जिलों की हालत राष्ट्रीय औसत यानी 35% से ज्यादा है। स्टडी में देश के 29 राज्यों, 6 यूनियन टेरिटरीज व 640 जिलों की 6,99,686 महिलाओं की जानकारी है।
राहत की बात ये... यदि भारत मौजूदा क्लीन एयर टारगेट को पूरा कर पाता है तो महिलाओं में एनीमिया को 53% से 39.5% तक पहुंचाया जा सकता है। यह 35% के राष्ट्रीय औसत का टारगेट पूरा करने में मदद करेगा। हाल ही में केंद्र की ओर से 2024 तक देश के 102 शहरों में 20-30% वायु प्रदूषण कम करने के लिए एक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है।
जुटाए गए आंकड़े... वैज्ञानिकों ने नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे- 4 और नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) से आंकड़े लिए। इसमें वर्ष 2007 से 2016 का डेटा था। रोजाना के आयरन इनटेक, बीएमआई, स्मोकिंग, सेकेंड हैंड स्मोक, एजुकेशन लेवल, कुकिंग फ्यूल, वेल्थ इंडेक्स,इलाके को स्टडी किया गया।
आंकड़े... ये स्टडी सिर्फ महिलाओं को ही फोकस करते हुए की गई है।वैज्ञानिकों ने चंडीगढ़ व देश के सभी जिलों में प्रदूषण की मात्रा और एनिमिया पर विभिन्न सर्वे और रिपोर्ट को स्टडी की। सल्फेट व ब्लैक कार्बन का एनिमिया के साथ ज्यादा संबंध देखा गया है। इसका बड़ा कारण इंडस्ट्री है और इसके बाद अन्य कारण।
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