पंजाब में अब महिला कांग्रेस प्रधान की नियुक्ति को लेकर चर्चा छिड़ गई है। गुरुवार को देर शाम फगवाड़ा की बलवीर रानी सोढ़ी को यह कुर्सी दे दी गई। वह फगवाड़ा से उपचुनाव लड़ने के लिए टिकट की दावेदार थीं, लेकिन कांग्रेस ने नहीं दी। उस वक्त पंजाब कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह हावी थे, जिसके बाद वह विदेश चली गईं। करीब एक महीने पहले वापस लौटने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंप दी। यह इसलिए अहम है क्योंकि भाजपा से आए नवजोत सिद्धू को कुछ ही वर्षों में पंजाब कांग्रेस का प्रधान बना दिया गया। इससे कुछ टकसाली खुले तो कुछ अंदरूनी तौर पर विरोध जता रहे हैं।
2019 में जताई थी दावेदारी
बलवीर रानी ने 2019 में फगवाड़ा उपचुनाव के लिए टिकट की दावेदारी ठोकी थी। यहां से BJP विधायक सोमप्रकाश ने होशियारपुर लोकसभा चुनाव लड़ा था। वहां जीत के बाद यह विधानसभा सीट खाली हो गई थी। कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी पूर्व IAS अफसर बलविंदर धालीवाल को टिकट दिया। चुनाव लड़ने के लिए धालीवाल ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद बलवीर रानी विदेश चली गई थी।
सोढ़ी को लेकर पहले भी रहा विरोध
फगवाड़ा में बलवीर रानी सोढ़ी के पति बलवीर राजा सोढ़ी और पूर्व मंत्री जोगिंदर सिंह मान कांग्रेस के कद्दावर नेता था। दोनों के बीच फगवाड़ा में सियासी खींचतान चल रही थी। इसे खत्म करने के मकसद से ही कांग्रेस ने बलविंदर धालीवाल की एंट्री कराकर उन्हें टिकट दे दी, जो 26 हजार वोट से जीतने में कामयाब रहे। बलवीर रानी जिला कांग्रेस कपूरथला की प्रधान रही हैं, उस वक्त भी वहां गुटबाजी हावी रही है।
कैप्टन के करीबी धालीवाल, इसलिए बलवीर रानी को मजबूत कर रही कांग्रेस
फगवाड़ा से मौजूदा विधायक बलविंदर धालीवाल कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी रहे हैं। इसी वजह से फगवाड़ा में कांग्रेस ने फिर बलवीर रानी को मजबूत किया है, ताकि यहां पर भी कांग्रेस में किसी तरह की टूट फूट न हो। हालांकि धालीवाल भी अभी कांग्रेस के ही साथ हैं।
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