बाउंस चेक को सिक्योरिटी के लिए दिया चेक बता कर कानूनी कार्रवाई से नहीं बचा जा सकता। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में स्पष्ट किया है कि किसी भी चेक पर हस्ताक्षर मायने रखते हैं। यह मायने नहीं रखता कि चेक पर लिखा किसने हैं। अकसर लोन के मामलों में ब्लैंक चेक सिक्योरिटी के तौर पर दिया जाता है। ऐसे में इन चेक पर बैंक खाताधारक के हस्ताक्षर ही होते हैं। चेक को भरने की अथाॅरिटी किसी दूसरे को ही दी जाती है।
हाईकोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया कि चेक पर हस्ताक्षर तो उनके हैं लेकिन यह भरा किसी अन्य व्यक्ति ने है। ऐसे में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की मदद ली जाए। जस्टिस विकास बहल ने फैसले में कहा कि यह दलीलें चेक बाउंस के मामले में सुनवाई को लंबित करने के लिए दी जा रही हैं जिन्हें मंजूर नहीं किया जा सकता।
हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की नियुक्ति की मांग खारिज
हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुरुग्राम के सोहना के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के एक दिसंबर 2021 के फैसले को खारिज करने की मांग की गई थी। फैसले में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट नियुक्त किए जाने की मांग को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद फैसले के खिलाफ रिवीजन पिटिशन दायर की गई जिसे 18 जनवरी 2022 को खारिज कर दिया गया। याचिका में कहा गया कि हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की नियुक्ति को मंजूर किया जाना चाहिए।
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