चंडीगढ़ पुलिस ने एक रोड एक्सीडेंट केस में 44 दिनों बाद FIR दर्ज की। इसका नतीजा यह हुआ कि आरोपी बाइक सवार कोर्ट से छूट गया। हादसे में डायरेक्टोरेट ऑफ सेंसस ऑपरेशंस, हरियाणा, सेक्टर 9 में असिस्टेंट डायरेक्टर सतीश कुमार घायल हुए थे। वह पैदल सड़क क्रॉस कर रहे थे तभी आरोपी मोटरसाइकिल सवार ने उन्हें टक्कर मार दी थी। चंडीगढ़ जिला अदालत ने आरोपी को बरी करते हुए पाया कि घायल व्यक्ति (सतीश कुमार) को हादसे के सिर्फ 2 दिनों में पुलिस को बयान देने के लिए मेडिकली फिट घोषित कर दिया गया था।
जिला अदालत ने पुलिस द्वारा केस दर्ज करने में देरी पर कहा कि शिकायतकर्ता बयान देने के लिए 23 सितंबर, 2016 को मेडिकली फिट घोषित कर दिए गए थे। ऐसे में देरी से FIR दर्ज करना इस और इशारा करता है कि यह किसी तय विचार या सुधार के तहत की गई कार्रवाई थी। इसी आधार पर आरोपी को बरी कर दिया गया। वहीं कोर्ट ने कहा कि पुलिस फाइल देख कर यह साबित नहीं होता कि आरोपी कैसे लापरवाही और उतावलेपन में ड्राइविंग कर रहा था। शिकायतकर्ता के बयानों की पुष्टि करने वाला मौके का कोई चश्मदीद तक नहीं था। ऐसे में आरोपी को शक का लाभ मिला।
जेबरा क्रॉसिंग पर खड़े थे
हादसे वाले दिन 21 सितंबर, 2016 को सतीश कुमार सेक्टर 7/19 की डिवाइडिंग रोड पर जेबरा क्रॉसिंग पर सड़क क्रॉस करने के लिए खड़े थे। इसी दौरान मोटरसाइकिल सवार ने उन्हें टक्कर मार दी थी। हादसे में सतीश कुमार समेत मोटरसाइकिल सवार अंकुश, दोनों ही घायल हो गए थे। दोनों को सेक्टर 32 स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल(GMCH-32) भर्ती करवाया गया था।
बाइक की थी इंपाउंड
मामले में शिकायतकर्ता सतीश कुमार थे जिनके बयान 3 दिसंबर, 2016 को दर्ज किए गए थे। पुलिस का कहना था कि शिकायतकर्ता हादसे के बाद शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं थे इसलिए उनके बयान दिसंबर में दर्ज हुए थे। इसके बाद अंकुश पर लापरवाही और उतावलेपन में ड्राइविंग कर चोट पहुंचाने की धाराओं में केस दर्ज हुआ था। उसकी गिरफ्तारी की गई थी और मोटरसाइकिल को इंपाउंड किया गया था।
केस के ट्रायल के दौरान प्रॉसिक्यूशन की तरफ से पुलिसकर्मियों के बयान भी दर्ज करवाए गए थे। इस दौरान GMCH-32 के डॉ. ध्रुव वर्मा और डॉ. तेजस के भी बयान हुए। उन्होंने बताया था कि सतीश कुमार को गंभीर चोटें आई थी। 17 अक्तूबर, 2016 को वह डिस्चार्ज हो गए थे। बचाव पक्ष के वकील ने सवाल उठाया कि घटना के काफी ज्यादा दिन बाद FIR दर्ज हुई। ऐसे में पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए आरोपी को बरी करने की मांग की गई थी।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.