चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर बाजी मार ली है। सर्बजीत कौर नई मेयर चुनी गई हैं। वहीं भाजपा के दिलीप शर्मा सीनियर डिप्टी मेयर और अनूप गुप्ता डिप्टी मेयर चुने गए हैं। सर्बजीत कौर को 14 वोट मिले और जीत का ऐलान होते ही सांसद किरण खेर ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया। आप उम्मीदवार को 13 वोट मिले। एक वोट अमान्य घोषित किया गया है।
वहीं आम आदमी पार्टी के पार्षद भाजपा की जीत से बौखला गए। उन्होंने विरोध करते हुए हंगामा किया। नारेबाजी करते हुए बवाल काटा। इसके बाद BJP की सर्बजीत कौर और AAP की अंजु कत्याल अगल-बगल में कुर्सी लगाकर बैठ गईं। हंगामे की सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने अंजु कत्याल को कुर्सी से उठा दिया।
सुबह 11 बजे नगर निगम सदन में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी। सबसे पहले सांसद किरण खेर ने वोट डाला, लेकिन आम आदमी पार्टी ने उनके वोट डालने का विरोध किया। मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुने गए हैं। वहीं नया मेयर मिलने के साथ ही शहर में पिछले 15 दिन से जारी सियासी उठापटक पर विराम लगा गया। आप-भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला था।
आप ने कहा- चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की मिलीभगत
आम आदमी पार्टी के सहप्रभारी राघव चड्ढा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा और कांग्रेस पर मिलीभगत करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस चुनाव में भाजपा का समर्थन किया है। इस पूरे प्रकरण में फ्री एंड फेयर इलेक्शन की धज्जियां उड़ाई गईं। भाजपा के फटे हुए वोट को कंसिडर कर लिया गया और आम आदमी पार्टी के वैलिड वोट को भी अमान्य करार दे दिया।
भाजपा-आप के पास 14-14 पार्षद थे। सांसद किरण खेर के वोट से और हरप्रीत कौर बबला के भाजपा में जाने से भाजपा के पास 14 पार्षद हुए थे। कांग्रेस और अकाली दल ने चुनाव में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था।कांग्रेस और शिअद सिर्फ दर्शक की भूमिका में रहे। एक जनवरी को सभी नए 35 पार्षद शपथ भी ले चुके हैं।
यह थे दोनों पार्टियों के उम्मीदवार
आम आदमी पार्टी ने मेयर पद के लिए अंजू कत्याल, सीनियर डिप्टी मेयर के लिए प्रेम लता और डिप्टी मेयर के लिए रामंचद्र यादव का नाम घोषित किया था। जबकि भाजपा से मेयर के लिए पूर्व पार्षद जगतार सिंह जग्गा की पत्नी सरबजीत कौर, सीनियर डिप्टी मेयर के लिए दलीप शर्मा, डिप्टी मेयर पद पर अनूप गुप्ता ने नामांकन दाखिल किया था। वहीं दोनों पार्टियां ने एक दूसरे पर पार्षदों की खरीद फरोख्त के आरोप भी लगाए थे।
चुनाव परिणाम और उसके बाद ऐसे हालात रहे थे
नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी पहली बार उतरी और बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। आप ने 14, भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 8 और 1 सीट अकाली दल ने जीती थी। कांग्रेस अध्यक्ष से विवाद के चलते पार्टी ने देवेंद्र सिंह बबला को बाहर का रास्ता दिखाया तो वे अपनी नवनिर्वाचित पार्षद पत्नी हरप्रीत कौर बबला के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं। इससे कांग्रेस के महज 7 पार्षद रह गए और भाजपा के पार्षद 13 हो गए थे। लेकिन चुनाव जीतने के बावजूद आप मेयर चुनाव में हार से बौखलाई हुई है।
तीनों पार्टियों ने पार्षदों को रखा सुरक्षित
चुनाव परिणाम आने के बाद तीनों पार्टियों को पार्षदों की खरीद फरोख्त होने का डर था। इसलिए तीनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को सुरक्षित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा अपने 13 पार्षदों को लेकर पहले कसौली और फिर शिमला चली गई थी। कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को लेकर जयपुर गई थी। आम आदमी पार्टी के पार्षद भी हिमाचल में ठहरे हुए थे। लेकिन पहले आप पार्षदों को दिल्ली लेकर गई थी और उन्हें सीसीटीवी की निगरानी में रखा था। आप-भाजपा पार्षद शुक्रवार देर रात ही चंडीगढ़ पहुंचे थे। कांग्रेस के पार्षद शनिवार सुबह जयपुर से चले थे।
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