चंडीगढ़ नगर निगम के लिए 35 वार्डों के लिए हुए चुनाव आ गया है। जिसमें आम आदमी पार्टी ने बाजी मार ली। आप ने 14 सीटों पर जीत हासिल की है। भाजपा 12 और कांग्रेस 8 पर सिमटकर रह गई। हार-जीत में उम्मीदवारों के साथ राजनीतिक दिग्गजों की साख भी दांव पर लगी थी।
जिसमें चंडीगढ़ के एकमात्र रैली करने वाले दिल्ली के CM और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल बाजी मार गए। उनकी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़कर इतिहास बना दिया। वहीं, भाजपा के लिए प्रचार करने वाले हरियाणा के CM मनोहर लाल खट्टर और केंद्र सरकार में मंत्री अनुराग ठाकुर और मनोज तिवारी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। भाजपा निगम की सत्ता से बाहर हो गई। यहां तक कि भाजपा के मौजूदा मेयर रविकांत शर्मा बुरी तरह से हार गए जबकि सीनियर डिप्टी मेयर हारते-हारते बचे।
कांग्रेस के हालात सबसे बुरे रहे। कांग्रेस के लिए रणदीप सूरजेवाला, कुमारी शैलजा और कन्हैया कुमार ने प्रचार किया था लेकिन पार्टी बुरी तरह से हार गई। कांग्रेस पिछली बार की 4 सीटों के मुकाबले 8 सीटें जीती लेकिन बहुमत के आंकड़े तक पहुंचना तो दूर, तीसरे नंबर पर रह गई।
BJP और AAP में ही रहा मुकाबला
केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ नगर निगम में 35 वार्डों में पार्षद चुनने के लिए मुख्य मुकाबला आप और भाजपा में ही रहा। जिनके बीच सिर्फ 2 सीटों का अंतर रहा। कांग्रेस पूरी चुनावी जंग में कहीं नजर नहीं आई। चंडीगढ़ में पिछले साल के मुकाबले इस बार 1% अधिक यानी रिकॉर्ड 60.45% मतदान हुआ। इससे साफ है कि इस बार लोग बदलाव के लिए घर से बाहर निकले और पहली बार चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी को चंडीगढ़ निगम का ताज सौंप दिया।
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नगर निगम चंडीगढ़: अब तक कांग्रेस-भाजपा का ही रहा था कब्जा
साल 1996 में हुए नगर निगम चुनाव में भाजपा को 13 कांग्रेस को 1,शिअद को 2 और चंडीगढ़ विकास मंच को तीन सीट मिली थी। साल 2001 में भाजपा को 3, कांग्रेस को 13, शिअद को एक और चंडीगढ़ विकास मंच को तीन सीट मिली। 2006 में भाजपा को 6, कांग्रेस को 13, बसपा को 1, शिअद को 2 और चंडीगढ़ विकास मंच को 4 सीटें मिली थी। साल 2011 में भाजपा को 10, कांग्रेस को 11, शिअद को 2 और बसपा को 2 सीट पर जीत हासिल हुई थी। साल 2016 में भाजपा को 20, कांग्रेस को 4, शिअद को 1 और एक निर्दलीय उम्मीदवार जीता था। यह निर्दलीय उम्मीदवार बाद में BJP में शामिल हो गए थे।
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