चंडीगढ़ पुलिस के जवान सचिन कुमार ने 6163 मीटर ऊंची माउंट मेंटक कांगरी पर तिरंगा फहराकर देश का नाम रोशन किया है। सचिन ने 3 अक्टूबर की सुबह 8 बजकर 5 मिनट राकेश बिश्नोई और धोलामारू दोरजी के चोटी पर पहुंचे। वहां थोड़ी देर फोटोग्राफी करके वीडियो बना कर नीचे लौटे। सचिन गत 15 अगस्त 2021 को माउंट युनम (6111 मीटर) पर 50 मीटर का भारतीय राष्ट्रीय ध्वज रिकॉर्ड समय में फहराकर लौटे थे, जिसके बाद सचिन कुमार ने एक और चोटी फतेह करने की ठानी थी और फतेह करके दिखा दी।
ऐसे शुरू हुआ माउंट मेंटक कांगरी फतेह करने का सफर
सचिन ने बताया कि वह 28 सितंबर 2021 को लेह के लिए निकले थे। वहां पहुंच कर कागजी कार्रवाई और एक्सपीडिशन से संबंधित सारी खरीदारी पूरी की। अगले दिन बेस कैंप करजोक विलेज और उसके अगले दिन एडवांस बेस कैंप 5300 मीटर पर पहुंच गए। 2 अक्टूबर की रात को समिट के लिए निकलना था, तभी अचानक तेज हवाओं के साथ बर्फबारी होने लगी। एक बार तो लगा कि मौसम उन्हें आगे नहीं बढ़ने देगा, लेकिन हार नहीं मानी। रात में 3 बजे मौसम थोड़ा ठीक होते ही मेंटक कांगरी पर ध्वज फहराने निकल पड़े। खतरे बहुत थे, लेकिन कुछ कर गुजरने का जज्बा भी था। सुबह लगभग 8 बजकर 5 मिनट तक तीनों चोटी पर पहुंच गए और पूजा अर्चना करके ध्वज फहराया।
सातों महाद्वीपों की पर्वत श्रृंखलाओं पर तिरंगा फहराना सपना
सचिन बताते हैं कि वह कई सालों से ड्यूटी के साथ-साथ पर्वतारोहण की तैयारी कर रहे थे। उनका सपना है कि विश्व के सभी 7 महाद्वीपों की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं पर भारतीय ध्वज और चंडीगढ़ पुलिस का ध्वज फहराना। पर्वतारोहण में सचिन पूरे चंडीगढ़ क्षेत्र और पुलिस का नाम रोशन करना चाहते हैं। पर्वारोहियों के लिए यह साल का आखिर समय है। सर्दियों में सभी चोटियों पर चढ़ने पर पाबंदी होती है।
माउंट त्रिशूल पर हुई घटना से निराश हुए सचिन
सचिन कुमार ने बताया कि वह बेस कैंप होते हुए लेह के लिए निकले। लेह पहुंच कर उन्हें माउंट त्रिशूल पर हुई दुखद घटना के बारे में पता चला, जिससे वह तीनों एक बार अंदर से टूट गए, लेकिन उन्हें अपने समिट की खुशी भी थी। फिर भी माउंट त्रिशूल पर पर्वतारोहियों की मौत का दुख कहीं ज्यादा था। पर्वतारोहण जितना रोचक देखने या सुनने में लगता है। वास्तविकता में यह कहीं ज्यादा खतरनाक भी है। इस साहसिक खेल में एक बात सबसे अच्छी यह थी कि जो भी कोई चोटी चढ़ रहे होते हैं, वह एक दूसरे से कोई होड़ नहीं रखते। सबकी कामना होती है कि सब चोटी पर चढ़े, सब अच्छा परफॉर्म करें।
त्रिशूल जैसी चोटी फतेह करना किसी ओलंपिक मेडल से कम नहीं
सचिन ने बताया कि त्रिशूल जैसी चोटी फतेह करना ओलंपिक मेडल जीतने से कम नहीं है। राज्य सरकारें पर्वतारोहियों को बहुत प्रोत्साहन व चोटियां फतेह करने में सहयोग, नौकरी या प्रमोशन आदि देकर पर्वतारोहियों का हौसला बढ़ाती हैं। जबकि चंडीगढ़ जैसे एडवांस शहर में अब तक पर्वतारोहण को लेकर कोई खेलनीति नहीं बनाई गई है। जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा पर्वतारोहण करने वालो को भुगतना पड़ता है। जैसे कि समय पर परमिशन न मिलना, महकमे से कोई खर्चा न मिलना, अन्य खेलों की तरह प्रमोशन न मिलना, किसी पर्वतारोहण के कोर्स हेतु आवेदन न मांगना आदि शामिल है।
सचिन कुमार इंस्पेक्टर चिरंजीलाल को मानते है प्रेरणा स्त्रोत
सचिन कुमार ने बताया कि वह पर्वतारोहण में इंस्पेक्टर चिरंजीलाल को अपना आदर्श मानते हैं। जो समय-समय पर उनकी मदद भी करते रहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने माउंटेनियरिंग की पूरी किट स्पॉन्सर की है, ताकि वह एक के बाद एक चोटियां फतेह करके चंडीगढ़ पुलिस का नाम रोशन कर सकें। इसके लिए वह उनका बहुत आभार व्यक्त करते हैं।
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