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चंडीगढ़ में सितंबर में कोरोना पॉजिटिविटी रेट 21 फीसदी था, जो फरवरी में घटकर .99 फीसदी रह गया। जिस तरह से मरीजों की संख्या घट रही है तो माना जा रहा था कि चंडीगढ़ में हर्ड इम्युनिटी तो नहीं आ गई। इस बारे में पीजीआई इम्योनोपैथोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो. सुनील अरोड़ा का कहना है कि हार्ड इम्युनिटी तब आती है, जब 60 से 70 फीसदी लोग संक्रमित हो जाएं। चंडीगढ़ में अभी ऐसी स्थिति नहीं है।
आईसीएमआर की स्टडी में पाया गया है कि देश भर में 20 से 22 फीसदी लोग ही कोरोना के शिकार हुए हैं। साफ है कि हर्ड इम्युनिटी नेचुरल इंफेक्शन से आने में दो से तीन साल लग सकते हैं। इसमें दाे-तीन कारण ऐसे हैं, जो रिस्की हैं। एक तो जब नेचुरल इंफेक्शन के जरिए हम हर्ड इम्युनिटी की बात करते हैं तो हमें यह लगता है कि ज्यादा से ज्यादा इंफेक्टेड होंगे, तभी तो हर्ड इम्युनिटी आएगी।
लेकिन उस इंफेक्शन में कुछ लोग होंगे, जो को-मोर्बिड यानी जिन्हें पहले से कई बीमारियां होंगी। ये ज्यादा उम्र के लोग होंगे। ऐसे लोगों में गंभीर संक्रमण का खतरा ज्यादा होगा। जब हम वायरस को बढ़ने का मौका देते हैं, जिसमें तो स्केप म्यूटेंट बनने का खतरा ज्यादा है। ऐसे में अगर वैक्सीन के जरिए हम तेजी से हर्ड इम्युनिटी की ओर जा सकते हैं।
अगर 60 से 70 फीसदी लोग वैक्सीन लगवा लें तो उससे उम्मीद है कि जल्द ही हर्ड इम्युनिटी आ जाए। क्योंकि वैक्सीन लगवाने के बाद हमारी बॉडी में जल्द एंटीबॉडी बनेंगे। इससे वायरस का ट्रांसमिशन रुक जाएगा। प्रो. अरोड़ा का मानना है कि जितने ज्यादा लोग वैक्सीन लगवाएंगे, उतनी तेजी से हर्ड इम्युनिटी अाएगी। वायरस का संक्रमण वैक्सीन से ही जल्द से जल्द कम किया जा सकता है।
प्रो. अरोड़ा ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि वैक्सीन हर साल लगे। लेकिन आईसीएमआर की तरफ से ऐसी कोई गाइडलाइन अभी नहीं आई है। जिस तरह से बाहर के देशों में वहां के लोग हर साल फ्लू वैक्सीन लगवाते हैं, उसी तरह से हमारे यहां भी इसे हर साल इसे लगवाने का ऑप्शन हो सकता है।
नेचुरल तरीके से इम्यून आने में कई-कई महीने लग जाते हैं, लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद बॉडी में इम्यून तेजी से बनता है। वैसे तो पहली डोज के चार हफ्ते बाद दूसरी डोज लगवानी है, लेकिन एक स्टडी आई है, जिसके अनुसार अगर पहली डोज के दो से तीन महीने के बाद हम दूसरी डोज लगवाते हैं तो हमारे बॉडी में ज्यादा देर तक इम्यून बना रहेगा।
कोरोना पॉजिटिव का पहला केस: 18 मार्च
वैक्सीन से बुखार होना ही इम्यून एक्टिवेशन की निशानी
हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स वैक्सीन लगवाने में घबरा रहे हैं। यही वजह है कि अभी 40 से 45 फीसदी वर्कर्स ने ही वैक्सीन लगवाई है। प्रो. अरोड़ा ने कहा कि हमारे यहां जो वैक्सीन लगाई जा रही है, वह सुरक्षित है। छोटी-मोटी दिक्कतें तो हर वैक्सीन लगवाने पर आती हैं।
देशभर में 10 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। वैक्सीन से बुखार होना इम्यून एक्टिवेशन की निशानी मानी जाती है। बाजू में थोड़ा दर्द हो सकता है। इससे ज्यादा कुछ नहीं होता। सभी को वैक्सीन लगवानी चाहिए।
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