हरियाणा के सिरसा जिले के डबवाली गांव में जमीन अधिग्रहण मुआवजे की मांग को लेकर जलघर की टंकी पर चढ़े किसानों ने रात ऊपर ही गुजारी। नीचे से दूसरे किसान रस्सी के माध्यम से ऊपर खाना भेजते थे। भारत माला प्रोजेक्ट का विरोध करते हुए डबवाली गांव में किसान राकेश फोगड़िया, सतनाम सिंह, सुरजीत सिंह गुरुवार को टंकी पर चढ़े। किसानों को टंकी पर चढ़े 24 घंटे से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन प्रशासन ने किसानों के साथ कोई बातचीत नहीं की।
किसान राकेश फोगड़िया का कहना है कि भारत माला परियोजना के तहत एनएचएआई द्वारा जमीन अधिग्रहण का मुआवजा मार्केट रेट का चार गुणा मांग दिया जाए। किसानों का कहना है कि 9 गांवों की 700 एकड़ जमीन अधिग्रहण में एक समान मुआवजा नहीं है। चौटाला गांव में एक राजनेता की जमीन 80 लाख रुपए प्रति एकड़ अधिग्रहित की गई है। जबकि एनएचएआई ने किसी गांव को 10 लाख तो किसी को 27 लाख मुआवजा दिया है। एनएचएआई ने तीन गांवों की जमीनों का कब्जा लेकर उसमें खड़ी फसलें बर्बाद कर दी। जब तक मुआवजा पूरा नहीं मिलता, रोड का कार्य पूरा नहीं होने दिया जाएगा।
9 गांवों की जमीन है अधिग्रहित
भारत माला प्रोजेक्ट में डबवाली के 9 गांवों की 700 एकड़ जमीन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा अधिग्रहित की जा रही है। एनएचएआई ने कलेक्टर रेट का दो गुणा मुआवजा दिया है, जबकि किसान चार गुणा अधिक की मांग कर रहे हैं। इसके चलते तीन किसान डबवाली गांव के जलघर की टंकी पर चढ़ गए।
किसानों का कहना है कि रेतीली और नहरी भूमि का मुआवजा एक समान और मार्केट रेट का होना चाहिए। एनएचएआई अधिग्रहित जमीन के साथ आसपास गांवों की जमीन खराब कर रहा है। अधिग्रहित जमीन के साथ बाकी जमीन के लिए रास्ते का उचित प्रबंध हो, खाल में पानी के लिए पर्याप्त व्यवस्था की मांग भी शामिल है। अधिग्रहित जमीन में आने वाले घर और ट्यूबवेल का मुआवजा भी चार गुणा दिया जाए।
तीन साल पहले भी जलघर की टंकी पर चढ़े थे 5 किसान
अखिल भारतीय स्वामीनाथन संघर्ष कमेटी के प्रधान विकल पचार सितंबर 2018 में पहले सिरसा खंड के एक गांव में अपने 5 साथियों के साथ टंकी पर चढ़ गए थे। विकल पचार की मांग थी कि सरकार कपास की खराब फसल का मुआवजा जल्दी जारी करें। तब यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था।
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