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शहर के डड्डूमाजरा के डंपिंग ग्राउंड में रविवार दोपहर 3.21 बजे लगी आग साेमवार रात 11 बजे तक भी नहीं बुझी। आग को बुझाने में पांच फायर टेंडर एवं दो वाॅटर बाउजर के बार-बार चक्कर लग रहे हैं। देर रात तक 46 टेंडरों से कूड़े में लगी आग पर पानी फेंका गया। करीब 50 मिट्टी के टिपर भी आग पर डाले गए। आग मामूली कंट्रोल होने के बाद फिर से तेज होने लगती है।
हालांकि, निगम ने सोमवार शाम को मिट्टी के टिपर की संख्या 14 कर दी थी। निगम अफसरों का कहना है कि अक्टूबर माह में लगी आग को मिट्टी फेंककर ही कंट्रोल किया गया था। डंपिंग ग्राउंड के कूड़े के पहाड़ में आग लगने से आधे शहर में धुआं ही धुआं फैला है। जबकि डड्डूमाजरा कॉलोनी , गांव डड्डूमाजरा, सेक्टर 38 वेस्ट, सेक्टर 38, 39, सेक्टर 25 में तो धुएं से लोगों के घरों के आगे पेड़ों के पत्ते भी काले पड़ गए हैं।
ऐसे में इन सेक्टर्स में रहने वालों की हालत कैसी होगी। डड्डूमाजरा कॉलोनी वासियों का कहना है कि निगम को डंपिंग ग्राउंड पर पक्के तौर पर फायर टेंडर और चार टिपर खड़े रखने चाहिंए ताकि डंपिंग ग्राउंड में मामूली आग लगते ही उसे कंट्रोल किया जा सके। कॉलोनी वासियों का कहना है कि नगर निगम की ओर से हर बार लापरवाही बरती जाती है।
डंपिंग ग्राउंड पर ठीक से मिट्टी की लेयर नहीं डाली जा रही है। जिसकी वजह से गर्मियों में डंपिंग ग्राउंड के सूखे कूड़े में आग लगने के ज्यादा कारण बनते हैं। अफसरों का कहना है कि डंपिंग ग्राउंड में कूड़ा सूखने पर आग लगने से ज्यादा फैलती है। कूड़ा में आग लोगों द्वारा बीड़ी आदि फेंकने से लगती है। कूड़ा फेंकने वाली गायों पर तैनात कर्मचारी भी हो सकते हैं और कूड़ा बीनने वाले भी।
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