चंडीगढ़ नगर निगम(MC) में 8 लोगों को सरकारी चपरासी लगवाने के नाम पर 16 लाख रुपए की ठगी करने के आरोपी निगम के बर्खास्त कांट्रैक्ट क्लर्क की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं उसकी अग्रिम जमानत याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट 13 मार्च को सुनवाई करेगा। जस्टिस सुधीर मित्तल की बैंच में केस की पूर्व सुनवाई पर आरोपी के वकील ने मामले में एक बार फिर से सुनवाई टालने की मांग की थी और कहा कि मामले में 'सेटलमेंट' को लेकर बातचीत चल रही है।
रंगलिया टावर, ढकोली, जीरकपुर निवासी विक्रम पदम (37) और उसकी पत्नी रमन कुमारी के खिलाफ सोहाना थाना पुलिस ने IPC की धारा 406, 420, 120-बी, 465, 467,468 और 471 के तहत 18 नवंबर, 2022 को केस दर्ज किया था।
इस अपराध में केस दर्ज
इन पर आपराधिक स्तर पर विश्वासघात करने, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने और जालसाजी की धाराएं लगाई गई हैं। इससे पहले 21 दिसंबर को मोहाली कोर्ट में एडिशनल सेशंस जज अवतार सिंह बरदा की कोर्ट विक्रम की अग्रिम जमानत अर्जी रद्द कर चुकी है।
कमिश्नर निकाल चुकी नौकरी से
करीब 2 सप्ताह पहले ही निगम कमिश्नर अनिंदिता मित्रा ने विक्रम को नौकरी से निकाल दिया था। जानकारी के मुताबिक विक्रम हॉर्टिकल्चर विंग में तैनात था। उसके खिलाफ मोहाली पुलिस द्वारा केस दर्ज करने के करीब 3 महीने बाद नौकरी से बर्खास्त किया गया था।
एक राजी हुआ तो लालच बढ़ा
पुलिस केस के मुताबिक सितंबर, 2020 में मामले में शिकायतकर्ता आरोपी विक्रम को मिला था। उसने बताया कि वह त्रिलोक सिंह नामक व्यक्ति को मिलने गया था, जहां वह विक्रम को भी मिला, जो त्रिलोक का रिश्तेदार था। आरोप के मुताबिक विक्रम ने शिकायतकर्ता को निगम में सरकारी चपरासी लगवाने के नाम पर 2.60 लाख रुपए मांगे। शिकायतकर्ता परिवार से सलाह कर विक्रम को 2 लाख रुपए देने को राजी हो गया। विक्रम ने त्रिलोक को कहा कि अगर कुछ और लोग हैं तो वह उन्हें भी नौकरी लगवा सकता है।
यह भी हुए ठगी का शिकार
मामले में आरोप के मुताबिक विक्रम के कहने पर हरमीत सिंह, रविंदर सिंह, पवन कुमार, कुलविंदर सिंह, परविंदर सिंह, सुमीत और करणदीप सिंह नामक व्यक्ति भी नौकरी लगने के लिए उसे 2-2 लाख रुपए देने के लिए राजी हो गए। इसके बाद विक्रम अपनी पत्नी रमन कुमारी को लेकर सितंबर, 2020 में अपने रिश्तेदार त्रिलोक सिंह के गांव रुड़का स्थित घर गया। यहां त्रिलोक की मौजूदगी में उसने नौकरी के चाहवान लोगों से 2-2 लाख रुपए लिए।
फर्जी अप्वॉइंटमेंट लेटर्स दिए
विक्रम और उसकी पत्नी ने अलग-अलग वक्त पर इन लोगों को फोन कर निगम में चपरासी की जॉब के लिए अप्वॉइंटमेंट लेटर्स दिए। इसके बाद यह विक्रम के कहने पर सेक्टर 17 स्थित नगर निगम ऑफिस के बाहर 5 से 6 महीने तक जाते रहे। मार्च, 2021 में लॉकडाउन के चलते यह लोग अपने घरों में रहे और एक से दो महीनों बाद उनके खातों में 15-15 हजार रुपए आए। जून, 2022 के बाद उनकी सैलरी नहीं आई।
यह आरोप हैं
शिकायत के मुताबिक विक्रम पदम और उसकी पत्नी ने शिकायतकर्ता को फर्जी अप्वॉइंटमेंट लेटर और आइडेंटिटी कार्ड दिया था। इसी तरह अन्यों को ठगा गया। ऐसे में इन सभी को नौकरी दिलवाने के नाम पर 16 लाख रुपए की ठगी की गई थी।
वकील ने निर्दोष बताया था
मोहाली कोर्ट में विक्रम की अग्रिम जमानत अर्जी केस में विक्रम के वकील ने कहा था कि उसने कोई अपराध नहीं किया और वह निर्दोष है। वहीं आरोपी से कुछ भी बरामद नहीं किया जाना है। इसके अलावा आरोपी/अर्जीकर्ता के खाते से शिकायतकर्ता के खाते में रकम ट्रांसफर नहीं हुई। वहीं सरकारी वकील ने दलील दी थी कि आरोपी ने सह आरोपी के साथ मिल शिकायतकर्ता से भारी रकम की ठगी की। इस अपराध में आरोपी की सक्रिय भूमिका थी।
निचली कोर्ट ने इसलिए रद्द की थी अर्जी
मोहाली कोर्ट ने कहा था कि पुलिस केस के मुताबिक आरोपी ने शिकायतकर्ताओं को फर्जी अप्वॉइंटमेंट लेटर्स और आइडेंटिटी कार्ड्स जारी किए थे और मामले में काफी रकम शामिल है। पुलिस केस के मुताबिक दस्तावेजों में जालसाज़ी कर भारी रकम की धोखाधड़ी की गई है। वहीं पुलिस केस के मुताबिक आरोपी ने सह-आरोपी के साथ मिल कुछ और लोगों के साथ इसी तरह ठगी की है। वहीं केस की जांच जारी है और केस की आगामी जांच एवं रकम बरामद करने के लिए आरोपी को कस्टडी में लेकर पूछताछ भी करनी पड़ सकती है। ऐसे में उसकी जमानत अर्जी रद्द कर दी गई थी।
पत्नी की अर्जी भी रद्द हुई थी
वहीं निचली अदालत ने विक्रम की पत्नी की जमानत अर्जी भी रद्द कर दी थी। जिसके बाद बीते 17 जनवरी को हाईकोर्ट जस्टिस सुधीर मित्तल की बैंच ने रमन कुमारी की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली थी। दरअसल उसने 9 दिसंबर के आदेशों पर पुलिस इन्वेस्टिगेशन जॉइन कर ली थी। 9 दिसंबर को हाईकोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत दी थी जिसे 17 जनवरी को अग्रिम जमानत पूर्ण रूप से दे दी थी।
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