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हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपए के दवा खरीद घोटाले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका पर मंगलवार को प्राथमिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि शंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने विजिलेंस ब्यूरो और इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। खंडपीठ ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है। ऐसे में क्यों न विजिलेंस व ED को इसकी जांच सौंप दी जाए।
इससे पहले यह याचिका हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए आई तो एकल जज ने इसे जनहित से जुड़ा मामला बताते हुए चीफ जस्टिस की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई की बात कही थी। जगविंदर सिंह कुलहरिया की तरफ से वकील प्रदीप रापड़िया ने याचिका दायर कर कहा कि हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवाओं और उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। याचिका में कहा गया कि हिसार की एक दवा कंपनी जिस पते पर दर्ज है, वहां कंपनी की जगह कपड़े धोने वाला बैठा है।
हिसार और फतेहाबाद के सामान्य अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनी का मालिक नकली सिक्के बनाने के आरोप में तिहाड़ जेल में था। बावजूद इसके उसने जेल से ही टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले लिया और स्वास्थ्य विभाग के कर्मी ने उसके झूठे हस्ताक्षर किए। याचिकाकर्ता के मुताबिक इस मामले में RTI के हवाले से वर्ष 2018 में दुष्यंत चौटाला ने इस घोटाले की CBI जांच और कैग से आडिट कराने की मांग की थी। राज्य के सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपए की दवाएं और मेडिकल उपकरण खरीदे गए, जो कि बेहद महंगे दामों पर लिए गए।
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