पंजाब के बहुचर्चित 6 हजार करोड़ के ड्रग केस में गुरूवार को सरकार और बिक्रम मजीठिया के वकीलों में खूब बहस हुई। सरकारी वकीलों ने अकाली नेता बिक्रम मजीठिया को पार्टी बनाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए कहा है।
मजीठिया का पक्ष रखने का काम शुरू होते ही सरकारी वकील विरोध में आ गए। सरकार की तरफ से पेश एडवोकेट ने कहा कि 2015 में SC ने जल्द सुनवाई के लिए कहा था। इस पर HC ने कहा कि यह नई बेंच बनी है, इसलिए सीलबंद रिपोर्ट और तथ्यों को पढ़ने और देखने के लिए वक्त चाहिए। इस सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के पूर्व AG एडवोकेट एपीएस देयोल भी मौजूद रहे।
मजीठिया पक्ष का तर्क, 2017 के बाद भी नशा बढ़ा
इस मामले में बिक्रम मजीठिया के वकील ने कहा कि जब पंजाब सरकार खुद मान रही है कि पंजाब में नशा बढ़ा है तो फिर पंजाब सरकार इस मामले में किसी एक व्यक्ति को क्यों फंसाना चाहती है। यही बात उन्होंने अपनी अर्जी में कही थी। उन्होंने कहा कि अगर उनके क्लाइंट दोषी है तो पुलिस गिरफ्तार करे लेकिन अगर उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए।
सिद्धू के ट्वीट बाद रंधावा भी बोले लेकिन रिपोर्ट नहीं खुली
इस मामले में अब तक पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू ट्वीट करते रहे हैं। सिद्धू हर सुनवाई से पहले सीलबंद रिपोर्ट खुलने का दावा करते रहे। इसके बाद बुधवार को डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने भी कहा कि ड्रग्स केस में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की सीलबंद रिपोर्ट आज खुल सकती है। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ।
सिद्धू कर चुके ट्वीट, रिपोर्ट सार्वजनिक कर केस दर्ज करो
नवजोत सिद्धू भी ट्वीट कर चुके हैं कि पंजाब सरकार खुद रिपोर्ट को सार्वजनिक करे। HC ने इसलिए सरकार को रिपोर्ट भेजी थी कि आरोपियों पर केस दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया जाए। हालांकि सरकार तर्क दे रही है कि मामला हाईकोर्ट में है, इसलिए वे रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर सकते। रिपोर्ट खोलने के लिए ही सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
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