कोरोना की वजह से एंडोक्राइन प्रॉब्लम्स बढ़ सकती हैं। ये समस्याएं बाद में जारी भी रह सकती हैं इसलिए अगर कोविड-19 हुआ है तो अपना थायराइड और शुगर 6 महीने बाद चेक जरूर कराएं। PGI के डिपार्टमेंट ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी,डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसन, डिपार्टमेंट ऑफ एनेस्थीसिया एंड इंटेंसिव केयर, डिपार्टमेंट ऑफ हेमेटोलॉजी और बायाेकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट ने रिसर्च की है।
ऐसे हुई रिसर्च
काेविड केयर सेंटर में दाखिल मरीजाें के क्लीनिकल, बायाेकेमिकल और हारमाेनल पैरामीटर रिकाॅर्ड किए गए। इसमें सिंप्टाेमैटाेलाॅजी टाइप, ड्यूरेशन एंड प्रायर काे माॅर्बिटीज देखी गईं। बायाेकेमिकल प्राेफाइल में कंपलीट हीमाेग्राम, रीनल एंड लीवर फंक्शन टेस्ट और इनफ्लामेट्री मार्कर जिसमें CRP, पा्रेक्लसिटाेनिन, D डाइमर, LDH और फेरिटिन व NLR और PLR आदि चेक किए गए। एक ग्रुप में ऐसे मरीज थे जाे सामान्य मरीज थे और दूसरे में मध्यम या बहुत ज्यादा बीमार मरीज लिए गए।
ये सभी एडमिशन के 24 से 48 घंटे के बीच सैंपल लिए गए थे। माइल्ड काेविड वाले मरीजाें में एंडाेक्राइन डिसफंक्शन भी माइल्ड था और गंभीर काेविड वाले मरीजाें में एंडाेक्राइन डिसफंक्शन भी गंभीर था। स्टडी के अनुसार थायराइड डिसफंक्शन बढ़ा है। कोविड के बाद नई हाइपो, हाइपर फंक्शनिंग दर्ज की गई है। 3 चौथाई मरीज जिनको माइल इंफेक्शन था उनमें थायराइड ग्रंथी सामान्य काम कर रही थी। सभी में लो T3 सिंड्रोम पाया गया। गंभीर मरीजों में समस्या ज्यादा थी।
ये थे रिसर्च टीम में शामिल
लीला दास, पिनाकी दत्ता, रमा वालिया, सोहम मुखर्जी, विकास पुरी, संजय बडाडा, गाेवर्धन दत्त पुरी, वरुण महाजन, पंकज मल्हाेत्रा, शकुन चाैधरी, राहुल गुप्ता, सत्यम सिंह जयंत, कन्हैया अग्रवाल, विजय कुमार, नरेश सचदेवा, अंशु रस्ताेगी, संत राम और अनिल भंसाली।
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