'कैश एट डोर' रिश्वतकांड:पूर्व जज निर्मल यादव के आज भी बयान दर्ज नहीं हुए ; चंडीगढ़ CBI कोर्ट में 14 साल पुराना केस

चंडीगढ़6 महीने पहले
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जज, जस्टिस निर्मल यादव से जुड़े 'कैश एट डोर' रिश्वतकांड केस में आज चंडीगढ़ CBI कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में आरोपियों के CrPC 313 तहत बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

आज आरोपी निर्मल सिंह और चंडीगढ़ के बिजनेसमैन राजीव गुप्ता के बयान दर्ज किए गए। इससे पहले पिछली सुनवाई पर दिल्ली-हरियाणा के बिजनेसमैन रविंदर सिंह भसीन के बयान बीते 19 नवंबर को दर्ज हो चुके हैं। जस्टिस यादव के बयान दर्ज करने के लिए अब सुनवाई 23 नवंबर को तय की गई है।

वर्ष 2008 में दर्ज इस केस में CBI कोर्ट के स्पेशल जज जगजीत सिंह साफ कर चुके हैं कि दिसंबर 2022 तक इस केस का ट्रायल पूरा किया जाएगा।

आरोपियों की CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करने के लिए 10 अक्तूबर को सुनवाई तय की थी। हालांकि केस में लगातार बचाव पक्ष तारीख मांगता रहा है। कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा है कि यह मामला 10 साल से पुराने केसों की श्रेणी में आता है।

ऐसे में हाईकोर्ट के आदेशों के तहत केस को इसी वर्ष दिसंबर तक डिसाइड किया जाना है। मामले में कोर्ट ने CBI की 20 के लगभग गवाहों को दोबारा 'कटघरे' में बुलाने की अर्जी को खारिज करते हुए आरोपियों को CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करवाने को कहा था। CBI के कई गवाह केस में मुकर गए थे।

गलती से अन्य महिला जज, जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर रिश्वत की रकम पहुंच गई थी। जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ था।
गलती से अन्य महिला जज, जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर रिश्वत की रकम पहुंच गई थी। जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ था।

रिटायर जज निर्मल यादव पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 11 और बाकी चार आरोपियों पर IPC की विभिन्न धाराओं समेत आपराधिक साजिश की धारा के तहत केस दर्ज हुआ था। आरोपियों में पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल की मौत हो चुकी है। वहीं जस्टिस यादव समेत हरियाणा-दिल्ली के होटेलियर रविंदर सिंह भसीन, चंडीगढ़ के बिजनेसमैन राजीव गुप्ता और एक निर्मल सिंह पर मुकद्दमा चल रहा है।

गलत जज के घर ले आया था रिश्वत
हाईकोर्ट की एक तत्कालीन महिला जज, जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गए थे। CBI केस के मुताबिक यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मल जीत कौर के पियन अमरीक सिंह ने 13 अगस्त, 2008 को हुए इस प्रकरण की शिकायत दी थी। आरोपी संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने पियन को कहा कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं जो डिलीवर करने हैं। हालांकि बैग में मोटी रकम थी। केस की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ CBI को केस की जांच सौंपी गई थी।

शुरुआत में सेक्टर 11 थाना पुलिस को शिकायत गई थी मगर मामला हाई-प्रोफाइल होने के चलते जांच CBI को सौंपी गई थी।
शुरुआत में सेक्टर 11 थाना पुलिस को शिकायत गई थी मगर मामला हाई-प्रोफाइल होने के चलते जांच CBI को सौंपी गई थी।

2011 में CBI ने दायर की थी चार्जशीट
CBI ने जांच के बाद कहा कि जस्टिस निर्मल यादव समेत अन्यों पर आपराधिक केस बनता है। जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ मार्च, 2011 में जब CBI ने चार्जशीट दायर की थी तो वह उत्तराखंड हाईकोर्ट की जज थी। रिश्वतकांड के बाद वर्ष 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव की ट्रायल पर रोक लगाने की अर्जी को रद करते हुए ट्रायल में देरी पैदा करने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग रद्द कर दी थी। जनवरी, 2014 में आरोपियों के खिलाफ CBI कोर्ट ने आरोप तय किए थे। ट्रायल के दौरान संजीव बंसल की मौत हो गई थी।