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नगर निगम सदन ने बगैर किसी टैक्स के साल 2021-22 के लिए 1623.9 करोड़ रुपए का बजट पास कर दिया। बजट में 1641 करोड़ खर्च होगा। इसमें कैपिटल हेड में 443 करोड़ 45 लाख और रेवेन्यू हेड में 1197.55 करोड़ है। प्रशासन से ग्रांट इन एड के 1176 करोड़ में से 502 करोड़ मिले हैं। इसके बाद भी निगम ने बजट के आंकडों को सही नहीं किया।
सही मायने में निगम के पास 502 करोड़ और अपने संसाधनों से 469 करोड़ 78 लाख यानि 971 करोड़ 78 लाख बजट है। इसमें भी 2020-21 का 48 करोड़ 69 लाख घाटा है। इस हिसाब से निगम का बजट 923 करोड़ 9 लाख है। अगर प्रशासन से एमसी एरिया में इलेक्ट्रिसिटी सेस के 26 करोड़ मिलते हैं तो बजट 949 करोड़ 9 लाख होगा।
बजट पर निगम में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कोई विरोध नहीं किया। इतना ही नहीं कांग्रेस के काउंसलर देवेंद्र सिंह बबला और सतीश कैंथ निगम सदन मीटिंग से अनुपस्थित रहे। प्रशासन से ग्रांट इन एड के 674 करोड़ कम मिलने पर नगर निगम का बजट 949 करोड़ 9 लाख होता है। लेकिन निगम ने प्रस्तावित बजट के आंकड़े नहीं बदले।
इतना तय है कि इस साल भी पिछले साल की तरह शहर में डेवलपमेंट के नाम पर काउंसलर और लोगों को परेशानी आएगी। नगर निगम के आंकड़ों के हिसाब से 31 मार्च 2022 को 17 करोड़ 91 लाख घाटा रहेगा। हालांकि, साल 2020-21 में 48 करोड़ 69 लाख घाटा हुआ है।
इसी घाटे से साल 2021-22 का बजट शुरू किया गया। निगम सदन में मेयर रविकांत शर्मा ने बजट पेश किया। बल्कि इसे बगैर किसी विरोध के पास भी किया गया। इस बार भी इसे प्रशासन के पास भेजा जाएगा तो प्रशासन दोबारा से बजट के आंकड़ों को सही करने के लिए वापस निगम को भेजेगा।
480 करोड़ सैलरी और पेंशन के लिए...
मौजूद आंकड़ों के अनुसार नगर निगम के पास 949 करोड़ 9 लाख का बजट रहता है। इसमें से 480 करोड़ रेेगुलर की सैलरी, आउटसोर्स, कॉन्ट्रैक्ट, डेलीवेज और वर्कचार्ज के वेज और रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर खर्च होगा। इसके अलावा वाॅटर वर्क्स, कजौली वाॅटर वर्क्स, ट्यूबवेल, शहर की स्ट्रीट लाइट्स के बिजली बिलों पर 150 करोड़ रुपए खर्च हाेंगे।
इसके बाद निगम के पास 319 करोड़ 9 लाख रुपए शहर के कामों के लिए बचता है। इसमें निगम रोड रिकार्पेटिंग पर 40 करोड़ खर्च करेगा और 55 करोड़ पानी सप्लाई लाइन पर खर्च होगा। ऐसे में निगम के पास बजट में अन्य कामों के लिए 224 करोड़ 9 लाख बचेगा। इससे शहर के सदर्न सेक्टर की लॉयन कंपनी को सैनिटेशन करने पर हर माह साढ़े चार करोड़ के हिसाब से 54 करोड़ देने हैं।
इसी कंपनी का पिछला 15 करोड़ भी निगम की ओर खड़ा है। यानि लॉयन कंपनी को ही 69 करोड़ देने हैं। इसके बाद निगम के पास 155 करोड़ 9 लाख बचेगा। यह भी तब हो सकेगा जब नगर निगम अपने संसाधनों से तय 469 करोड़ 78 लाख रुपया जुटा सकेगा। अगर इससे कम जुटा पाया तो निगम के पास शहर की डेवलपमेंट करवाने के लिए फंड के लाले पड़ जाएंगे। ऐसे में सभी काम रोकने के मजबूर होना पड़ेगा।
1641 करोड़ रुपए खर्च करने हैं
यहां से आएगा पैसा...
ग्रांट इन एड के 502 करोड़ रुपए मिल गए हैं। इसके बावजूद नगर निगम ने बजट के आंकड़ों को दुरुस्त नहीं किया )
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