केंद्र सरकार अब किसान आंदोलन को पूरी तरह खत्म कराने के लिए एक्शन में आ गई है। लोकसभा और राज्यसभा में तीन कृषि सुधार कानून वापस लेने के बावजूद धरनास्थलों पर बैठे किसान संगठनों की MSP कानून की मांग पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है।
इसके लिए केंद्र सरकार ने MSP कमेटी बनाने का फैसला किया है। साथ ही इस कमेटी में शामिल होने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से 5 किसान नेताओं के नाम मांगे हैं। किसान नेता मनजीत सिंह राय ने कहा कि कल कमेटी में शामिल होने वालों के नामों की लिस्ट जारी की जा सकती है।
सिंघु बॉर्डर पर बैठक में की सरकार के प्रस्ताव पर बातचीत
सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार शाम को 32 किसान संगठनों की तरफ से की गई बैठक अब खत्म हो गई है। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि ज्यादातर किसान संगठन अब आंदोलन को खत्म करने के पक्ष में हैं, हालांकि भाकियू (टिकैत) के राकेश टिकैत और गुरनाम चढ़ूनी आंदोलन को जारी रखने पर अड़े हुए हैं। हालांकि सर्वसम्मति से ही सब इसका हल चाहते हैं।अब 4 दिसंबर को SKM की मीटिंग बुलाई गई है। इस मीटिंग में आंदोलन वापसी की घोषणा हो सकती है।
बैठक के बाद किसान नेता हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमसे 5 मेंबरों की सूची मांगी है। हम एक-दो दिन में सूची दे देंगे। अब 4 दिसंबर को हम संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग बुलाएंगे। उसके बाद किसान आंदोलन पर फैसला ले लिया जाएगा।
गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा- किसानों के मुकदमे वापस लो
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने सभी राज्यों को किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने का निर्देश दिया है। हरियाणा के किसान नेताओं ने मुकदमाों की वापसी के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ बैठक करने की घोषणा भी कर दी है।
मनोहर लाल खट्टर पहले ही कह चुके हैं कि वे किसानों पर दर्ज केस वापस लेने को तैयार हैं। पंजाब सरकार भी इसके लिए पहले ही सहमति दे चुकी है। लक्खोवाल के मुताबिक, हरियाणा, चंडीगढ़ और रेलवे के केस भी हम पर दर्ज हैं। हरियाणा ने मीटिंग बुला ली है और उत्तर प्रदेश में भी लिस्ट बन रही है।
सिंघु बॉर्डर पर बढ़ी हलचल, सामान पैक कर रहे किसान
केंद्र सरकार के 3 कृषि सुधार कानून वापस लेने के बाद से ही सिंघु बॉर्डर पर किसानों की वापसी को लेकर हलचल बढ़ी हुई है। किसान सामान की पैकिंग कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि बॉर्डर तभी छोड़ेंगे, जब संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से इसका औपचारिक ऐलान हो जाएगा।
घर वापसी पर पंजाब के किसान सहमत
केंद्र सरकार ने तीन कृषि सुधार कानून वापस ले लिए हैं। लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद अब इस पर राष्ट्रपति की मुहर बाकी है। सोमवार को पंजाब के किसान संगठनों ने मीटिंग कर घर वापसी पर सहमति दी थी। इससे पहले उन्होंने बाकी मांगों को लेकर केंद्र सरकार को एक दिन का अल्टीमेटम दिया था। घर वापसी के बारे में औपचारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा, लेकिन इस पर 4 दिसंबर को SKM की मुहर लग सकती है।
पंजाब के किसान संगठनों का तर्क
पंजाब के किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मुख्य मांग 3 कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की थी। इसे केंद्र ने एक ही दिन में लोकसभा और राज्यसभा से पास करवा दिया। पराली और बिजली एक्ट से किसानों को बाहर निकाल दिया। अब केंद्र सरकार ने MSP पर कमेटी के लिए किसान नेताओं के नाम भी मांग लिए हैं। वहीं केस रद्द करने को लेकर भी सरकार पूरी तरह से हरकत में है। हालांकि वह आंदोलन में मरे किसानों के लिए केंद्र से मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं।
टिकैत-चढ़ूनी MSP कानून मांग रहे
किसान नेता राकेश टिकैत और गुरनाम चढ़ूनी केंद्र सरकार से MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं। खास बात यह है कि पंजाब के किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर जहां संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के फैसले को सुप्रीम कह रहे हैं। टिकैत और चढ़ूनी सीधे कह रहे हैं कि आंदोलन खत्म नहीं होगा। कुछ दिन पहले टिकैत ने अमृतसर आकर यह भी कहा कि अगर कोई किसानों को पूंछे कि कृषि कानून वापसी के बाद भी आंदोलन खत्म क्यों नहीं हुआ तो वह मौन धारण कर लें।
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